पुणे जिले के मावल तालुका स्थित कुंदमाला क्षेत्र में 15 जून 2025 को दोपहर लगभग 3:30 बजे एक बड़ा हादसा हुआ, जब इंद्रायणी नदी पर बना एक 30 साल पुराना पैदल पुल अचानक ढह गया। यह पुल, जो शेलारवाड़ी और इंदोरी गांवों को जोड़ता था, पहले ही असुरक्षित घोषित किया जा चुका था और उस पर चेतावनी संकेत भी लगाए गए थे। इसके बावजूद, रविवार को बड़ी संख्या में पर्यटक और स्थानीय लोग, जिनमें दोपहिया वाहन चालक भी शामिल थे, पुल पर मौजूद थे।
पुणे के पास इंद्रायणी नदी पर स्थित कुंदमाला क्षेत्र में रविवार, 15 जून 2025 को एक पुराना फुटब्रिज ढह गया, जिससे चार लोगों की मौत हो गई और 50 से अधिक लोग घायल हो गए। घटना के समय पुल पर 100 से अधिक लोग मौजूद थे, जो इसकी क्षमता से कहीं अधिक था। यह पुल पहले ही खतरनाक घोषित किया जा चुका था, लेकिन इसके बावजूद लोग इसका उपयोग कर रहे थे।
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मृतक और घायल: चार लोगों की मौत हुई, जिनमें एक पांच वर्षीय बच्चा भी शामिल है। 51 लोग घायल हुए, जिनमें से आठ की हालत गंभीर है।
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पुल की स्थिति: यह पुल लगभग 30 साल पुराना था और इसे केवल पैदल यात्रियों के लिए बनाया गया था। हालांकि, दोपहिया वाहन भी इस पर चलते थे, जिससे इसकी संरचना पर अतिरिक्त दबाव पड़ा।
हादसे के समय पुल पर 100 से अधिक लोग थे, जो उसकी क्षमता से कहीं अधिक था। पुल के गिरने से चार लोगों की मौत हो गई, जिनमें एक पांच वर्षीय बालक भी शामिल है, जबकि एक व्यक्ति लापता है और आठ लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं। कुल मिलाकर 51 लोग घायल हुए, जिनमें से अधिकांश की स्थिति स्थिर है। राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF), पुलिस और दमकल विभाग की टीमों ने तुरंत बचाव कार्य शुरू किया, जो देर शाम तक जारी रहा। अधिकारियों ने बताया कि पुल का रखरखाव पुणे जिला परिषद की जिम्मेदारी थी, और एक नया पुल निर्माणाधीन है, जिसका कार्य वर्षा ऋतु के बाद शुरू होगा।
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कारण: पुल की जर्जर स्थिति, जंग लगना और अधिक भार इसके गिरने के प्रमुख कारण बताए गए हैं।
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प्रशासनिक लापरवाही: स्थानीय निवासियों ने पहले भी पुल की मरम्मत की मांग की थी, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। पुल पर चेतावनी बोर्ड लगे थे, फिर भी लोग उन्हें नजरअंदाज कर रहे थे।
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सरकारी प्रतिक्रिया: महाराष्ट्र सरकार ने मृतकों के परिवारों को ₹5 लाख की सहायता राशि देने की घोषणा की है और घायलों के इलाज का खर्च वहन करेगी। इसके अलावा, घटना की जांच के लिए एक पांच सदस्यीय समिति का गठन किया गया है।
हादसे के संभावित कारणों में पुल की जंग लगी संरचना, अत्यधिक भीड़ और चेतावनी संकेतों की अनदेखी शामिल हैं। स्थानीय निवासियों के अनुसार, पुल पर पहले भी दरारें और गड्ढे दिखाई दिए थे, जिन्हें अस्थायी रूप से सीमेंट ब्लॉकों से ढका गया था। हालांकि, प्रशासन द्वारा पुल की संरचनात्मक जांच नहीं कराई गई थी। महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने कहा कि प्रारंभिक जांच में पुल की जर्जर स्थिति और भीड़भाड़ को हादसे का मुख्य कारण माना जा रहा है। राज्य सरकार ने मृतकों के परिजनों को ₹5 लाख की अनुग्रह राशि देने और घायलों के इलाज का पूरा खर्च वहन करने की घोषणा की है।
इस घटना ने बुनियादी ढांचे की सुरक्षा और प्रशासनिक लापरवाही पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। जिला प्रशासन ने हादसे की जांच के लिए पांच सदस्यीय समिति का गठन किया है, जो दो सप्ताह में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी। इस समिति का उद्देश्य प्रशासनिक चूक की जांच करना और भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए आवश्यक सुधार सुझाना है।
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रेस्क्यू ऑपरेशन: राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF), पुलिस और दमकल विभाग ने संयुक्त रूप से राहत और बचाव कार्य किया। सभी लापता लोगों को खोज लिया गया है, और अब रेस्क्यू ऑपरेशन समाप्त हो गया है।
इस दुर्घटना ने बुनियादी ढांचे की सुरक्षा और प्रशासनिक जिम्मेदारियों पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। स्थानीय लोगों और नेताओं ने दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है।
घटना से संबंधित और जानकारी के लिए, आप NDTV की रिपोर्ट देख सकते हैं: