13 जून 2025 से शुरू हुए इस बड़े सैन्य संघर्ष को अब पांच दिनों से अधिक का समय बीत चुका है। दोनों देशों के बीच लगातार मिसाइलों, ड्रोन और हवाई हमलों का सिलसिला जारी है, जिससे क्षेत्रीय और वैश्विक स्थिरता में गहरी अशांति उभर रही है।
इज़राइल की आक्रमण नीति
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ऑपरेशन राइजिंग लायन के अंतर्गत इज़राइली वायुसेना ने तेहरान, इस्फहान, नतांज़ जैसे प्रमुख परमाणु और सैन्य उद्देश्यों पर हमले किए, जिसमें 200 से अधिक बैलिस्टिक मिसाइल लॉन्चर, मिसाइल डिपो, एयर डिफेंस सिस्टम और कमांड सेंटर तबाह किए गए।
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इज़राइली खुफिया एजेंसी मोसाद और ड्रोन से चलाए गए गुप्त अभियानों में IRGC के कई वरिष्ठ अधिकारी मारे गए।
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तेहरान में सेंट्रीफ्यूज उत्पादन संयंत्र और राज्य चैनल IRIB के भवनों पर भी हमले किये गए, जिससे वहां के नागरिक बंबई की तरह प्रभावित हुए।
ईरान की जवाबी कार्रवाई
ईरान ने तेल अवीव, यरूशलम, हाइफ़ा जैसे प्रमुख शहरों पर बैलिस्टिक मिसाइलों (जिसमें हाइपरसोनिक मिसाइलें भी शामिल थीं) के साथ-साथ दर्जनों ड्रोन हमले किए ।
इस हमलों में इज़राइल में कम से कम 24 नागरिकों की मौत हुई और सैंकड़ों घायल हुए।
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ईरानी सेना ने Haj Qassem और Qassem Bassir बैलिस्टिक मिसाइलों का इस्तेमाल करके तेल अवीव, यरूशलम और हाइफ़ा पर बड़े पैमाने पर हमला किया, साथ ही दर्जनों ड्रोन भी भेजे।
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ईरान ने कई नागरिक इलाकों और सैन्य ठिकानों जैसे Mossad मुख्यालय को भी निशाना बनाया।
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तेहरान में तीव्र आवाज़ों वाले सायरन बजने के बीच व्यापक क्षति और आतंक फैला देखने को मिला, और कई लोगों को सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित किया गया।।
जानमाल और मूलभूत संरचनाओं का नुकसान
ईरानी अधिकारियों के अनुसार इज़राइली हमलों में करीब 224 लोग मारे गए और 1,300+ घायल हुए, जिनमें कई आम नागरिक शामिल हैं ।
इज़राइल में हवाई हमलों से लगभग 24–27 लोगों की मौत, 600 से अधिक घायल, और कई आवासीय व सार्वजनिक संरचनाओं को भारी क्षति हुई।
यूनीटेड की रिपोर्ट में तेल और गैस सुविधाओं, अस्पतालों, संचार नेटवर्कों और आवासीय इलाकों को भी प्रभावित बताया गया है ।
अंतरराष्ट्रीय रुख और अमेरिकी भागीदारी
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पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान से “बिना शर्त आत्मसमर्पण” की मांग की है और कहा है कि अमेरिका उसका समर्थन करता रहेगा, हालांकि इज़राइल द्वारा ईरानी सर्वोच्च नेता पर सीधे हमले की योजना फिलहाल नहीं है ।
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अमेरिकी सेना ने मध्य‑पूर्व में F‑16, F‑22, F‑35 सहित अन्य लड़ाकू विमान और बी‑52 बमवर्षक तैनात किए हैं ताकि संभावित खतरे से निपटा जा सके।
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G7, EU, संयुक्त राष्ट्र, रूस और अन्य वैश्विक शक्ति समूह तनाव को नियंत्रित करने और कूटनीतिक समाधान लागू करने का आग्रह कर रहे हैं ।
यह युद्ध रोबोटिक ड्रोन अभियानों, हाइपरसोनिक और बैलिस्टिक मिसाइल होनहार तकनीक, एयर सूपीरियॉरिटी, साइबर हमले और गुप्त अभियानों का मिश्रित स्वरूप है। दोनों देशों की सैन्य व नागरिक क्षमताओं पर गंभीर प्रभाव पड़ा है। यदि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तत्काल मध्यस्थता न हुई, तो यह संघर्ष क्षेत्रीय स्थिरता के साथ‑साथ ग्लोबल ऊर्जा सुरक्षा और आर्थिक संतुलन के लिए भी बड़ा खतरा बन सकता है।