मोक्ष की ओर ले जाए योगिनी एकादशी व्रत: हेममाली की अद्भुत मोक्ष यात्रा

2025 में योगिनी एकादशी आषाढ़ कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि पर 21 जून 2025 (शनिवार) को सुबह 7:18 बजे शुरू होकर 22 जून 2025 को सुबह 4:27 बजे तक रहेगी, इसलिए व्रत 21 जून को रखा जाएगा। इस दौरान राहुकाल जैसे शुभ-समय से बचकर पूजा करना चाहिए; उदाहरण के लिए, कुछ पंचांगों के अनुसार सुबह 9:00‑10:30 बजे राहुकाल है। पूजा के शुभ मुहूर्तों में ब्रह्म मुहूर्त (04:04‑04:44), अभिजीत (11:55‑12:51), विजय (14:43‑15:39) और गोधूली (19:21‑19:41) शामिल हैं

तिथि व समय (2025):

योगिनी एकादशी वर्ष 2025 में शुक्रवार, 27 जून को मनाई जाएगी।

  • एकादशी तिथि आरंभ: 26 जून 2025, रात 11:16 बजे

  • एकादशी तिथि समाप्त: 27 जून 2025, रात 08:20 बजे

  • पारण (व्रत खोलने का समय): 28 जून 2025, सुबह 05:27 से 08:11 बजे तक

योगिनी एकादशी क्या है?

योगिनी एकादशी हिंदू पंचांग के अनुसार आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को आती है। यह एकादशी विशेष रूप से पापों के नाश और शारीरिक रोगों से मुक्ति के लिए मानी जाती है। इसे व्रतीजन विष्णु भगवान को समर्पित करते हैं और व्रत रखते हुए उपवास व भक्ति करते हैं।

  • यह एकादशी 84 लाख योनियों से मुक्ति देने वाली मानी जाती है।

  • योगिनी एकादशी का व्रत करने से दुर्लभ रोग, पाप और कष्ट दूर होते हैं।

  • यह व्रत नरक के भय को समाप्त कर मोक्ष प्रदान करता है।

योगिनी एकादशी व्रत कथा

एक समय की बात है, स्वर्गधाम की अलकापुरी में धन-वैभव से संपन्न राजा कुबेर धर्म और शिव भक्ति में लीन रहते थे। उनके एक सेवक, यक्ष हेममाली, मानसरोवर से सुंदर पुष्प लेकर आता था, लेकिन एक दिन कामवासना के वश में वह पुष्प न ला सका। उक्त पुष्प न आने पर क्रोधित राजा ने उसे श्राप दिया कि वह कोढ़ी बनकर धरती पर विकला हो जाएगा, अपनी पत्नी से दूर हो जाएगा और वन-भ्रमण करेगा

हेममाली सचमुच पृथ्वी पर गिरकर कोढ़ की यातनाओं और अपमानों की आग झेलने लगा। तब उसका परिचय हुआ महर्षि मार्कण्डेय से, जिन्होंने उसकी पीड़ा सुनकर कहा कि “आषाढ़ कृष्णपक्ष की एकादशी, जिसे ‘योगिनी एकादशी‘ कहा जाता है, का व्रत रखो—इससे तुम्हारी शुद्धि होगी”। हेममाली ने गम्भीर श्रद्धा से वह व्रत विधिपूर्वक रखा।

एकादशी का त्यागपूर्वक व्रत रखने तथा भगवान विष्णु की उपासना से उसकी कोढ़ पूरी तरह ठीक हो गई, वह पुनः स्वर्ग को प्राप्त हुआ तथा अपनी पत्नी के साथ आनंद-पूर्ण जीवन जिया । भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को बताया कि यह व्रत समस्त पापों के नाशक है, 88,000 ब्राह्मणों को भोजन कराने जितना पुण्य होता है, तथा मोक्षप्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करता है

इस कथा से हमें यह महान संदेश मिलता है कि योगिनी एकादशी, विधिपूर्वक व्रत, पूजा, कथा-पाठ, और दान से संयुक्त करके, हमें हमारे सभी दोषों और रोगों से मुक्ति दिलाती है, साथ ही आत्मा की शुद्धि और ईश्वर की कृपा प्रदान करती है।

व्रत विधि

  1. दशमी तिथि की रात्रि में सात्विक भोजन लें और व्रत का संकल्प लें।

  2. एकादशी के दिन सुबह स्नान करके व्रत का संकल्प लें और भगवान विष्णु की पूजा करें।

  3. श्रीहरि विष्णु को तुलसी पत्र, पंचामृत, केसर, दूध, फलपीले पुष्प अर्पित करें।

  4. एकादशी की रात को जागरण करें और भगवान का भजन-कीर्तन करें।

  5. अगले दिन द्वादशी को व्रत का पारण करें – यानी दान देकर और अन्न ग्रहण करके व्रत खोलें।

क्या करें और क्या न करें

करें:

  • ब्रह्मचर्य का पालन करें

  • वाणी व व्यवहार में संयम रखें

  • ज़रूरतमंदों को दान दें

न करें:

  • तामसिक भोजन (प्याज, लहसुन, मांस, शराब) न खाएं

  • झूठ न बोलें

  • किसी का अपमान न करें

व्रतपूजन विधि में तुलसी, पीले पुष्प, चंदन, पंचामृत, फल-भोग अर्पित करना, “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप, कथा श्रवण व आरती करना शामिल है धार्मिक मान्यता अनुसार, इससे 88,000 ब्राह्मणों को भोजन कराने के समान पुण्य मिलता है, पाप नष्ट होते हैं, रोग-दुःख दूर होते हैं और मोक्ष प्राप्ति होती है। इस दिन अन्न, वस्त्र, धन और धार्मिक सामग्री का दान करना अत्यंत शुभ माना जाता है। विशेषकर ब्राह्मणों और जरूरतमंदों को दान देने से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है।

व्रत का पारण 22 जून को दोपहर 1:47 से शाम 4:35 तक उचित समय है, साथ ही ‘हरिवासर’ सुबह 9:41 तक माना गया। वास्ताव में यह व्रत 30 घंटे 15 मिनट तक रहता है

भद्रा का समय सुबह 5:24–7:18 तक होता है, इसलिए इस दौरान पूजा से बचना चाहिए

ज्योतिषीय दृष्टिकोण

  • इस दिन चंद्रमा विशाखा या अनुराधा नक्षत्र में रह सकता है, जिससे यह दिन और भी फलदायी माना जाता है।

  • धन वृद्धि, कर्ज मुक्ति और मानसिक शांति के लिए योगिनी एकादशी का व्रत विशेष फलदायी होता है।

विशेष बातें

  • 2025 में यह एकादशी शुक्रवार को पड़ रही है, जो शुक्र ग्रह (सौंदर्य, प्रेम, वैभव) से जुड़ा है। अतः इस वर्ष व्रत का प्रभाव विशेष रूप से वैवाहिक जीवन में सामंजस्य और शारीरिक रोगों से मुक्ति में सहायक होगा।

  • कई राज्यों में व्रत कथा पाठ, सत्संग व भजन कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है।

इसके अतिरिक्त, यह दिन त्रिपुष्कर योग, बुधादित्य योग और सुकर्मा योग का भी संयोग लाता है, जो धन, करियर व आत्मविश्‍वास में लाभदायक है—विशेषतः मेष, कर्क, सिंह, तुला और कुंभ राशियों के लिए। कुल मिला कर, योगिनी एकादशी के दिन व्रत, पूजन, कथा, दान और रात्री जागरण करने से भक्तों को आध्यात्मिक शांति, मानसिक स्वच्छता और ईश्वर की कृपा प्राप्त होती है।

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