बॉलीवुड के ही‑मैन धर्मेंद्र का निधन: एक युग का अंत

धर्मेंद्र

बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता धर्मेंद्र का निधन हो गया है। वे 89 वर्ष के थे। हिन्दुस्तान टाइम्स सहित कई पत्रकारों ने पुष्टि की है कि उनका अंतिम संस्कार मुंबई के पवन हंस श्मशान में हुआ। धर्मेंद्र पिछले कुछ समय से बीमार थे और उन्हें सांस लेने में दिक्कत हो रही थी। उन्होंने अपनी लंबी और शानदार करियर की शुरूआत 1960 में की थी और 300 से अधिक फिल्मों में काम किया। उनके जाने से बॉलीवुड में “एक युग का अंत” मान रहा है। कई सितारों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी है और पीएम नरेंद्र मोदी ने भी उनके निधन पर दुख जताया। उनकी सेहत पिछले कुछ समय से नाजुक थी ; अक्टूबर के अंत में उन्हें साँस लेने में दिक्कत की शिकायत के बाद मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती किया गया था।  बाद में उन्हें 12 नवंबर को अस्पताल से छुट्टी दी गई थी और वे घर पर ही देखभाल में थे। उनका अंतिम संस्कार पवन हंस श्मशान घाट, जुहू (मुंबई) में किया गया, जहां फिल्म इंडस्ट्री के कई बड़े नाम पहुंचे और उन्हें श्रद्धांजलि दी गई। उनके निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट किया कि धर्मेंद्र जी की मौत “भारतीय सिनेमा में एक युग के अंत” का प्रतीक है।

धर्मेंद्र का जन्म 8 दिसंबर 1935 को नसराली गाँव, जिला लुधियाना (पंजाब) में एक साधारण जाट सिख परिवार में हुआ था। उनका पूरा नाम धर्म सिंह देओल था। उनके पिता केवल किशन सिंह देओल एक सरकारी स्कूल के प्रधानाध्यापक (हैडमास्टर) थे और माँ सतवंत कौर देओल गृहिणी थीं। उनका परिवार शिक्षित, अनुशासनप्रिय और सादगी-पसंद माना जाता था। धर्मेंद्र का बचपन पंजाब के ग्राम्य वातावरण में बीता। बाद में उनका परिवार साहनेवाल (लुधियाना) स्थित गाँव साहनपुरा में बस गया, जहाँ उन्होंने अपनी प्रारंभिक पढ़ाई पूरी की। बचपन से ही वे फिल्मों के बड़े शौकीन थे और देहाती माहौल में रहते हुए एक सशक्त, मेहनती और भावुक स्वभाव वाले इंसान के रूप में बड़े हुए।

धर्मेंद्र का पारिवारिक जीवन हमेशा से फ़िल्म उद्योग और मीडिया की चर्चा का केंद्र रहा है। उनकी पहली शादी बहुत कम उम्र में प्रकाश कौर से हुई थी, जब वे फिल्मों में आने के लिए अभी संघर्ष कर रहे थे। प्रकाश कौर से उनके चार बच्चे हुए सनी देओल, बॉबी देओल, विजेता देओल और अजीता देओल। सनी और बॉबी देओल दोनों बॉलीवुड के सफल अभिनेता बने और अपने पिता की परंपरा को आगे बढ़ाया। धर्मेंद्र अपने बेटों के बेहद करीब माने जाते थे और उनके फिल्मी करियर की शुरुआत में उन्होंने मजबूत समर्थन दिया। बाद में धर्मेंद्र की मुलाक़ात अभिनेत्री हेमा मालिनी से हुई और दोनों की प्रेम कहानी बॉलीवुड की सबसे चर्चित कहानियों में से एक बन गई। उनसे विवाह के बाद धर्मेंद्र ने दूसरी शादी की, जिससे उन्हें दो बेटियाँ ईशा देओल और अहाना देओल हुईं। हेमा मालिनी के साथ उनका संबंध सम्मान, अपनापन और समझ से भरा माना जाता है। दोनों बेटियाँ भी मनोरंजन और कलात्मक गतिविधियों में सक्रिय रही हैं। धर्मेंद्र अपने सभी बच्चों के साथ भावनात्मक रूप से जुड़े रहे, चाहे वे किसी भी माँ से हों। उनका पूरा परिवार बहुत बड़ा है, जिसमें उनके बच्चे, बहुएँ, दामाद, और पोते-पोती शामिल हैं। वे अपने पोते करण देओल और राजवीर देओल को भी खास स्नेह देते थे और उनके करियर को आगे बढ़ाने में प्रेरक भूमिका निभाई। हालाँकि उनके निजी जीवन में कई उतार-चढ़ाव रहे, लेकिन धर्मेंद्र हमेशा अपने परिवार को साथ रखने, उनके लिए समय निकालने और एक स्नेही पिता व दादा होने के लिए जाने जाते थे। उनकी पारिवारिक ज़िंदगी उनके व्यक्तित्व का वह हिस्सा रही जिसने उन्हें सिर्फ एक सुपरस्टार नहीं, बल्कि एक परिवार-प्रिय इंसान भी साबित किया।

धर्मेंद्र का फिल्मी करियर 60 सालों से भी अधिक लंबा रहा। उन्होंने 300 से भी ज़्यादा फिल्मों में काम किया। उनकी कुछ मशहूर फिल्मों में शोले, चुपके चुपके, मेरा गाँव मेरा देश आदि शामिल हैं। धर्मेंद्र का फिल्मी करियर भारतीय सिनेमा के इतिहास में सबसे चमकदार और लंबे करियरों में से एक रहा है। छह दशकों से भी अधिक समय तक सक्रिय रहते हुए उन्होंने रोमांस, एक्शन, कॉमेडी और ड्रामा हर शैली में अपनी अलग पहचान बनाई। 1960 में फ़िल्म Dil Bhi Tera Hum Bhi Tere से अभिनय की शुरुआत करने वाले धर्मेंद्र ने शुरुआती दौर में Anpadh, Bandini, Haqeeqat और Aaye Din Bahar Ke जैसी फिल्मों के ज़रिए एक लोकप्रिय रोमांटिक हीरो के रूप में जगह बनाई। 1970 का दशक उनके करियर का स्वर्णिम दौर साबित हुआ, जब Sholay, Mera Gaon Mera Desh, Yaadon Ki Baaraat, Seeta Aur Geeta, Sharmeelee, Dost और Jugnu जैसी सुपरहिट फिल्मों ने उन्हें एक्शन और कॉमेडी दोनों का बादशाह बना दिया। उनकी “मजबूत बॉडी”, “बिंदास संवाद अदायगी” और “जिंदादिल स्क्रीन प्रेज़ेंस” ने उन्हें सिनेमा का चहेता स्टार बना दिया। हेमा मालिनी के साथ उनकी जोड़ी भी बेहद लोकप्रिय रही और Sholay, Dream Girl, Naya Zamana, Sita Aur Geeta, Charas और Jugnu जैसी लगभग 40 फिल्मों में दोनों की केमिस्ट्री को खूब सराहा गया। 1966 की फिल्म Phool Aur Patthar ने उन्हें “ही-मैन ऑफ बॉलीवुड” की उपाधि दिलाई और यह उनकी पहली ब्लॉकबस्टर साबित हुई। 1980 और 90 के दशक में वे मुख्य भूमिकाओं से धीरे-धीरे चरित्र भूमिकाओं की ओर बढ़े, लेकिन Ghayaal, Patthar Aur Payal, Loha, Batwara और Hathyar जैसी फिल्मों ने उनकी लोकप्रियता को बरकरार रखा। 2000 के बाद उन्होंने कम फिल्मों में काम किया, पर Apne, Yamla Pagla Deewana श्रृंखला, Johnny Gaddar और Rocky Aur Rani Ki Prem Kahani जैसी परियोजनाओं से उन्होंने नई पीढ़ी में भी अपनी जगह बनाए रखी। आखिरी वर्षों में वे चुनिंदा फिल्मों और ओटीटी प्रोजेक्ट्स में नजर आए, और उनकी अंतिम प्रमुख फिल्म Ikkis उनके निधन के बाद रिलीज़ होने वाली है। प्राकृतिक अभिनय, सुरुचिपूर्ण रोमांस, दमदार एक्शन, बेहतरीन कॉमिक टाइमिंग और अद्भुत स्क्रीन प्रेज़ेंस की वजह से धर्मेंद्र एक ऐसे दुर्लभ कलाकार बने जिन्होंने रोमांटिक हीरो, एक्शन स्टार, कॉमेडियन और कैरेक्टर आर्टिस्ट—हर रूप में दर्शकों का दिल जीता और भारतीय सिनेमा में अमिट छाप छोड़ी। वे सिर्फ अभिनेता ही नहीं थे, बल्कि राजनीति में भी सक्रिय रहे, 2004 से 2009 तक वे भारतीय संसद के सदस्य रहे।

धर्मेंद्र को भारतीय सिनेमा में उनके लंबे, प्रभावशाली और बहुमुखी योगदान के लिए कई प्रतिष्ठित सम्मानों से नवाज़ा गया है। उन्हें वर्ष 2012 में भारत सरकार द्वारा देश के तीसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म भूषण  से सम्मानित किया गया। इससे पहले 1997 में उनके शानदार फिल्मी सफर और निरंतर सफलताओं को देखते हुए फिल्मफेयर लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड  प्रदान किया गया। बतौर निर्माता फिल्म घायल (1990) के लिए धर्मेंद्र को राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार  सर्वश्रेष्ठ लोकप्रिय फिल्म का सम्मान भी मिला। इसके अतिरिक्त, उन्हें स्टारडस्ट और IIFA लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड से भी नवाज़ा गया, जो उनके योगदान को वैश्विक स्तर पर मान्यता देते हैं। बॉलीवुड टाइम्स, ज़ी सिने अवॉर्ड्स और अन्य संस्थानों ने भी उन्हें “लीजेंडरी पर्सनैलिटी”, “आइकॉन ऑफ इंडियन सिनेमा” और “सिनेमा अवॉर्ड्स ऑनर” जैसे खिताबों से सम्मानित किया। पंजाब सरकार ने उन्हें “शान-ए-पंजाब” का सम्मान दिया, जबकि विभिन्न फिल्मी संस्थाओं, सांस्कृतिक संगठनों और मीडिया हाउसों ने भी कई विशेष उपाधियाँ प्रदान कीं। वहीं डी.ए.वी. स्कूल ने उन्हें “प्राइड ऑफ DAV” की उपाधि देकर गौरवान्वित किया।

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