उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने 21 जुलाई 2025 को स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को भेजे गए पत्र में कहा कि वे चिकित्सा सलाह के अनुसार स्वास्थ्य को प्राथमिकता देना चाहते हैं, इसलिए तत्काल प्रभाव से इस्तीफा दे रहे हैं। यह घटना भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ है, क्योंकि वे पहले उपराष्ट्रपति हैं जिन्होंने कार्यकाल के बीच में इस्तीफा दिया है।
जगदीप धनखड़ की जीवनी और राजनीतिक करियर
जगदीप धनखड़ का जन्म 18 मई 1951 को राजस्थान के झुंझुनू जिले के किथाना गांव में हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा किथाना और चित्तौड़गढ़ के सैनिक स्कूल से प्राप्त की। आगे जाकर, उन्होंने राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर से बी.एससी. और एलएलबी की डिग्री हासिल की। एक कुशल वकील के रूप में उन्होंने अपनी योग्यता साबित की और बाद में राजनीति में कदम रखा।
उनका राजनीतिक सफर 1993 में राजस्थान विधानसभा के सदस्य के रूप में शुरू हुआ, जब वे किशनगढ़ निर्वाचन क्षेत्र से विधायक चुने गए। इसके बाद उन्होंने 1989 में भारतीय लोकसभा का सदस्य भी चुने जाने का गौरव प्राप्त किया। वे 1990-91 में केंद्रीय संसदीय कार्य राज्य मंत्री भी रहे। अपने प्रभावशाली राजनीतिक अनुभव के चलते, उन्हें पश्चिम बंगाल का राज्यपाल नियुक्त किया गया।
11 अगस्त 2022 को जगदीप धनखड़ भारत के 14वें उपराष्ट्रपति बने। उपराष्ट्रपति के रूप में उन्होंने राज्यसभा में कई सुधारात्मक कदम उठाए, महिला प्रतिनिधित्व को बढ़ावा दिया, और भारतीय संस्कृति एवं योग के प्रचार-प्रसार में सक्रिय भूमिका निभाई। 2023 में उन्होंने 9वें अंतरराष्ट्रीय योग दिवस समारोह की अध्यक्षता की और नागालैंड के कोहिमा में 23वें हॉर्नबिल महोत्सव का उद्घाटन किया।
हाल ही में, उन्होंने स्वास्थ्य कारणों से उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया है, जो भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण घटना मानी जा रही है।(https://www.oneindia.com/, Wikipedia)
उनके कार्यकाल के दौरान, धनखड़ ने राज्यसभा में कई सुधारात्मक कदम उठाए। उन्होंने महिला प्रतिनिधित्व को बढ़ावा देने के लिए उपसभापति पैनल में 17 महिला सदस्यों को शामिल किया। इसके अलावा, उन्होंने भारतीय संस्कृति और योग के प्रचार-प्रसार में भी सक्रिय भूमिका निभाई। उन्होंने 2023 में जबलपुर, मध्य प्रदेश में 9वें अंतरराष्ट्रीय योग दिवस समारोह की अध्यक्षता की और नागालैंड के कोहिमा में 23वें हॉर्नबिल महोत्सव का उद्घाटन किया।
उनके इस्तीफे के बाद, भारतीय संविधान के अनुसार, उपराष्ट्रपति का पद तुरंत रिक्त हो जाता है। राज्यसभा के उपसभापति अस्थायी रूप से इसकी जिम्मेदारी संभालेंगे, जबकि नए उपराष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया जल्द शुरू होगी। इस अप्रत्याशित घटनाक्रम ने भारतीय राजनीति में हलचल मचा दी है और नए उपराष्ट्रपति के चयन को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं।
उनकी सेवानिवृत्ति के बाद, भाजपा और सरकार में बड़े बदलाव की संभावना जताई जा रही है, क्योंकि उनका इस्तीफा पार्टी और सरकार दोनों के लिए एक चुनौतीपूर्ण स्थिति उत्पन्न करता है।
अगर उपराष्ट्रपति इस्तीफा दे देते हैं तो क्या होता है, इसे समझना महत्वपूर्ण है। भारत के संविधान और नियमों के अनुसार, उपराष्ट्रपति के इस्तीफा देने की स्थिति में निम्न प्रक्रिया अपनाई जाती है:
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पद रिक्त हो जाता है: उपराष्ट्रपति के इस्तीफा देने के तुरंत बाद उनका पद खाली हो जाता है।
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राज्यसभा के उपसभापति अस्थायी कार्यवाहक बनते हैं: जब तक नया उपराष्ट्रपति चुना नहीं जाता, तब तक राज्यसभा के उपसभापति उपराष्ट्रपति के कार्यों और जिम्मेदारियों का अस्थायी रूप से निर्वहन करते हैं।
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नए उपराष्ट्रपति का चुनाव: उपराष्ट्रपति के खाली पद को भरने के लिए संसद के दोनों सदनों के सदस्यों द्वारा निर्वाचक मंडल बनता है, जो नए उपराष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया शुरू करता है।
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चुनाव की समय सीमा: संविधान में स्पष्ट समय सीमा नहीं दी गई है, लेकिन सामान्य तौर पर यह चुनाव जल्द से जल्द कराया जाता है ताकि उपराष्ट्रपति पद खाली न रहे।
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अपराध या अन्य असमर्थता की स्थिति में भी यही प्रक्रिया होती है: यदि उपराष्ट्रपति असमर्थ हो जाते हैं या पद से हटाए जाते हैं तो भी यही नियम लागू होते हैं।
इस प्रकार, उपराष्ट्रपति के इस्तीफा देने से सरकार और संसद तुरंत नई व्यवस्था के लिए सक्रिय हो जाती है ताकि संवैधानिक व्यवस्था में कोई बाधा न आए।
भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने 21 जुलाई 2025 को स्वास्थ्य कारणों से अपने पद से इस्तीफा दे दिया, जिससे उपराष्ट्रपति का पद रिक्त हो गया है। संविधान के अनुसार, उपराष्ट्रपति के पद के रिक्त होने पर नए उपराष्ट्रपति का चुनाव “जितनी जल्दी हो सके” किया जाना चाहिए। इस चुनाव में लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य शामिल होते हैं।
नए उपराष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया जल्द शुरू होगी, और इस पद के लिए कई संभावित उम्मीदवारों के नाम चर्चा में हैं। भा.ज.पा. (BJP) और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के नेताओं ने इस पद के लिए उम्मीदवारों पर विचार करना शुरू कर दिया है। हालांकि, अभी तक किसी आधिकारिक उम्मीदवार की घोषणा नहीं की गई है।
इस बीच, राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह, जो वर्तमान में उपसभापति पद पर हैं, अस्थायी रूप से राज्यसभा की अध्यक्षता करेंगे, जब तक नया उपराष्ट्रपति चुना नहीं जाता। यह व्यवस्था संविधान के अनुच्छेद 91 के तहत की गई है।
नए उपराष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया में समय लग सकता है, लेकिन यह सुनिश्चित किया जाएगा कि संवैधानिक व्यवस्था में कोई विघ्न न आए।