Operation Mahadev भारत की खुफिया एजेंसी Research and Analysis Wing (RAW) द्वारा चलाया गया एक गुप्त और साहसिक अभियान है, जिसका उद्देश्य दुबई, पाकिस्तान और अन्य देशों में बैठे भारतीय भगोड़ों और वांछित अपराधियों को पकड़कर भारत लाना था। इस ऑपरेशन के तहत भारत सरकार ने UAE की एजेंसियों के साथ मिलकर दाऊद इब्राहिम गैंग के सदस्यों, हवाला नेटवर्क ऑपरेटर्स, और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वांछित अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई की।
इस अभियान के दौरान कई Underworld dons और आतंकी वित्तपोषण में लिप्त लोगों को ट्रैक करके उनकी गतिविधियों पर नजर रखी गई और उन्हें गुप्त रूप से भारत लाया गया, ताकि कानूनी कार्रवाई की जा सके। Operation Mahadev खासतौर पर इसलिए चर्चा में आया क्योंकि यह एक “cloak and dagger” style यानी अत्यंत गोपनीय शैली में किया गया अभियान था, जिसमें ना तो मीडिया को भनक लगी और ना ही संबंधित अपराधियों को कोई पूर्व जानकारी मिली।
इस ऑपरेशन में Interpol, UAE Intelligence, और Indian security agencies की आपसी समन्वय और तकनीकी निगरानी की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण रही। Operation Mahadev को भारत की खुफिया क्षमताओं और रणनीतिक कौशल का एक प्रमुख उदाहरण माना जा रहा है।
Congress नेता Udit Raj ने “Operation Mahadev” की समय‑सीमा पर कड़ी आपत्ति जताते हुए इसे संसद में “Operation Sindoor” पर चल रहे बहस के साथ तालमेल बैठाने वाला राजनीतिक कदम बताया और इसे “event management” करार दिया।
उनके अनुसार, आतंकवादी को संभवतः पहले ही पकड़ा जा सकता था, लेकिन संसद में Operation Sindoor पर चर्चा को ध्यान में रखते हुए कार्रवाई को देर तक स्थगित रखा गया:
Udit Raj ने कहा: “The army was deliberately restrained… It is very possible that he was held earlier, just killed today… Why was he not caught earlier… It is event management.”
इस प्रकार, Udit Raj यह सवाल उठा रहे हैं कि अगर आतंकवादी वास्तव में पहले मौजूद था, तो उस पर पहले कार्रवाई क्यों नहीं की गई—क्या इसे रणनीतिक रूप से Parliament के बहस के समय पर रखा गया था, ताकि सरकार की छवि सुधारी जा सके?
यह टिप्पणी आज, 29 जुलाई 2025, को सामने आई जहाँ वे Operation Mahadev के संचालन की समय‑नियोजन पर राजनीतिक संदर्भ में सवाल उठा रहे हैं
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Udit Raj Operation Mahadev की समय‑सीमा पर शक जताते हैं।
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उनका कहना है कि कार्रवाई जानबूझकर तब तक टाली गई जब तक संसद में Operation Sindoor पर बहस न पूरी हो जाए।
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उन्होंने इसे “event management” कहा और पूछा कि कार्रवाई पहले क्यों नहीं की गई।
1. अन्य नेताओं की प्रतिक्रिया – Operation Mahadev पर
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जम्मू और कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने ऑपरेशन महादेव को “good news” बताया। उन्होंने कहा कि आतंकवादी हमले जैसे घटनाएं उन लोगों की स्थिति कमजोर करती हैं जो पाकिस्तान के साथ बातचीत की वकालत करते हैं। उन्होंने शांति प्रक्रिया के समर्थन के बावजूद यह स्पष्ट किया कि आतंकवाद के खिलाफ कड़े कदम ज़रूरी हैं, और इस ऑपरेशन से सुरक्षा एजेंसियों का मनोबल भी बढ़ा है। ये बयान 28–29 जुलाई 2025 में सामने आए।
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पीड़ितों के परिवारों ने भी सेना और सरकार की प्रतिक्रिया का स्वागत किया। Times of India की रिपोर्ट में बताया गया कि Dombivli, Navi Mumbai, Kolkata समेत कई परिवारों ने ऑपरेशन के बाद राहत और आभार व्यक्त किया, जबकि कुछ ने इसे शुरूआत बताते हुए कहा कि आतंक तो पूरी तरह नहीं रुका है — अभी बहुत करना बाकी है।
2. Operation Sindoor की पृष्ठभूमि
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पाहलगाम हमला (22 अप्रैल 2025) में दक्षिण कश्मीर के Baisaran में तैन tourists, विशेष रूप से हिंदू पुरुषों को चिन्हित करके 26 लोगों की हत्या की गई थी। आतंकवादी समूह “The Resistance Front” (TRF) ने इसके लिए ज़िम्मेदारी ली।
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इसके जवाब में, भारत ने 7–8 मई 2025 की रात को ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया। इस अभियान में पाकिस्तान और PoJK (Pakistan-Occupied Kashmir) में 9 आतंकवादियों के ठिकानों को निशाना बनाया गया—सिर्फ आतंक इंफ्रास्ट्रक्चर, सैन्य लक्ष्यों को नहीं। सरकार ने इसे “measured, non‑escalatory” कार्रवाई बताया।
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ऑपरेशन का नाम “Sindoor” इसलिए रखा गया क्योंकि यह हिंदू विवाह में पुरुष की लंबी आयु प्रतीक का हिस्सा है—इसे दुख की स्मृति और न्याय की मांग के प्रतीक के रूप में चुना गया।
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रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने लोकसभा में स्पष्ट किया कि कई विकल्पों पर विचार करने के बाद आतंकवादी शिविरों को अधिकतम नुक़सान पहुंचाने वाले अभियान को चुना गया — जबकि सीमित लक्ष्य रखा गया ताकि आम नागरिकों पर असर न पड़े। उन्होंने विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि यह रणनीतिक और लक्षित कार्रवाई थी। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि ज़रूरत पड़ी, ऑपरेशन फिर से शुरू किया जा सकता है।
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राज्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ऑपरेशन को आतंकवाद के खिलाफ भारत की स्पष्ट संदेश देने वाली कार्रवाई बताया, साथ ही उत्तर प्रदेश में ब्रह्मोस सुविधा केंद्र का उद्घाटन करते हुए देश की रक्षा आत्मनिर्भरता को रेखांकित किया।
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चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल अनिल चौहान ने पुष्टि की कि ऑपरेशन सिंदूर अभी चल रहा है और वर्ष भर 24/7 उच्च तैयार रहने की आवश्यकता बनी हुई है।
3. सरकार की प्रतिक्रिया
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विदेश मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय ने संसद में बताया कि ऑपरेशन का उद्देश्य आतंकवादी नेटवर्क को नष्ट करना था, और अत्यधिक नियंत्रण और संयम के साथ कार्रवाई की गई—जिसे भारत ने “non‑escalatory” बताया।
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भारत ने यह भी बताया कि ऑपरेशन में भारतीय वायुसेना (IAF), सेना और नौसेना के बीच एक अभूतपूर्व समन्वय हुआ, जिसमें संयुक्त भूमि–वायु–समुद्री अभियान शामिल थे। विशेष रूप से IAF ने Nur Khan और Rahimyar Khan एयरबेस पर सटीक मिसाइल हमले किए, जबकि BSF ने सीमा पार से संभावित घुसपैठों को रोका।
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अन्य विश्लेषकों का निष्कर्ष यह है कि ऑपरेशन सिंदूर भारत की रणनीतिक और तकनीकी क्षमता का प्रदर्शन था—स्थानीय रूप से विकसित ब्रह्मोस सहित मिसाइल सिस्टम, Akash एयर डिफेंस, Integrated Air Command System जैसे प्लेटफॉर्म सम्मिलित थे। यह भारत द्वारा संचालित अधिक दृढ़ और आत्मनिर्भर रक्षा दृष्टिकोण को दर्शाता है।
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कुछ टिप्पणियाँ यह भी रखती हैं कि हालांकि भारत ने अभियान को नियंत्रित बताया, कुछ रिपोर्ट्स में कम से कम 40 नागरिकों की मौत की बातें भी सामने आईं।
नवीनतम अपडेट (2025) के अनुसार, इस ऑपरेशन के अंतर्गत करीब 20 से अधिक अपराधियों को दुबई से भारत लाया जा चुका है, और कई अन्य की पहचान की जा चुकी है जिन पर आगे की कार्रवाई की जा रही है। भारत सरकार इसे एक लंबी अवधि का मिशन मान रही है, जो आने वाले समय में और बड़े स्तर पर प्रभावी होगा।
यह ऑपरेशन भारत की National Security Strategy के अंतर्गत Transnational Crime और Terror Financing को खत्म करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।