Satyapal Malik (सत्यपाल मलिक) , जन्म 24 जुलाई 1946 (Hisawada गाँव, Baghpat, उ.प्र.), जो कई राज्यों में राज्यपाल रह चुके थे (Bihar, Odisha, Jammu & Kashmir, Goa, Meghalaya), का निधन 5 अगस्त 2025 को दिल्ली के Ram Manohar Lohia Hospital में हुआ, वे 79 वर्ष के थे। उनकी मौत जननांग संक्रमण से शुरू हुई और किडनी विफलता, हाईपरटेंशन, मोटापा व अन्य स्वास्थ्य समस्याओं से ग्रसित स्थिति के चलते हुई। अस्पताल ने बताया कि वे 11 मई 2025 से भर्ती थे, जहां से उनकी हालत बिगड़ती चली गयी और उनका इलाज काफी समय तक चला। वह 79 वर्ष के थे और लंबे समय से किडनी की समस्या, उत्सकगत संक्रमण, मल्टी-ओर्गन डिसफंक्शन, डिसेमिनेटेड इंट्रावास्कुलर कोअगुलेशन जैसे गंभीर स्वास्थ्य संकटों से जूझ रहे थे।
उनकी राजनीतिक यात्रा 1974 में Chaudhary Charan Singh की Bharatiya Kranti Dal से Baghpat विधानसभा सीट जीतकर शुरू हुई। बाद में उन्होंने Rajya Sabha (1980–89) व Lok Sabha (1989–91, Aligarh से) में संसद सदस्य के रूप में सेवा की, और विभिन्न दलों जैसे Congress, Janata Dal, Samajwadi Party आदि से जुड़े।
पिछले कुछ महीनों से वह अस्पताल में भर्ती थे (मायो दिनों के बाद से खतरनाक स्थिति मे), जहां उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व ट्विटर) पर एक संदेश साझा किया, जिसमें उन्होंने बताया कि “Condition is very bad”, वे किसी से बात नहीं कर पा रहे हैं, और “मैं पिछले लगभग एक महीने से अस्पताल में हूँ … हालत बहुत गंभीर है”।
उन्होंने कई पदों पर शासन किया:
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Governor of Bihar: सितम्बर 2017 – अगस्त 2018
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Additional charge: Governor of Odisha: मार्च – मई 2018
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Governor of Jammu & Kashmir: अगस्त 2018 – अक्टूबर 2019
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Governor of Goa: नवम्बर 2019 – अगस्त 2020
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Governor of Meghalaya: अगस्त 2020 – अक्टूबर 2022।
उनका tenure Jammu & Kashmir में खास तौर पर महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि इसी दौरान (5 अगस्त 2019 को) Article 370 को हटाया गया और राज्य का विभाजन कर उसे दो Union Territories में बदला गया—इस ऐतिहासिक और विवादास्पद निर्णय की घोषणा उनके कार्यकाल में हुई।
Pulwama हमले पर टिप्पणियाँ
Satya Pal Malik ने फरवरी 2019 में हुए Pulwama आतंकी हमले को भारत की “systemic failure” और गृह मंत्रालय व CRPF की “gross negligence” से जोड़ा। उन्होंने मीडिया को बताया कि PM Narendra Modi और NSA Ajit Doval दोनों ने उन्हें इस सुरक्षा चूक पर बोलने से मना किया — “tum abhi chup raho” जैसा निर्देश देने तक का आरोप है। Malik की मांग थी कि इस मामले की Supreme Court–monitored जांच होनी चाहिए, क्योंकि 2019 Lok Sabha चुनाव “हमारे जवानों की कुर्बानी पर लड़े गए” और सरकार ने कोई जवाबदेही नहीं निभाई।
बाद में उन्होंने BJP से अलग होकर सरकार की आलोचना शुरू की। उन्होंने 2019 Pulwama हमला और उसमें सुरक्षा में हुई चूक को लेकर केंद्र सरकार और PM Narendra Modi पर तीखी टिप्पणी की। Malik ने दावा किया कि CRPF ने एयरक्राफ्ट की मांग की थी, लेकिन उसे अस्वीकार कर दिया गया और अंततः सुरक्षा बल सड़क मार्ग से भेजे गए, जिससे वे निशाना बने। 2023 में एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि उन्हें खामोश रहने के लिए कहा गया था और उन्होंने भ्रष्टाचार के आरोप भी लगाए।
किसानों के आंदोलन में भूमिका
उन्होंने किसानों की मांगों (जैसे MSP की तत्काल शुरुआत) का समर्थन किया और कहा कि farm laws को विरोध करने वालों के हित में तोड़ा था, लेकिन promised MSP लागू नहीं किया गया। उन्होंने Agniveer भर्ती, Adani का कृषि व्यापार और भ्रष्टाचार के सवाल भी उठाए।
जब केंद्र सरकार ने तीन कृषि कानूनों को लागू करने का प्रयास किया, तो Malik ने इन कानूनों को किसानों के खिलाफ बताया और उनकी वापसी की मांग की। उन्होंने कहा कि सरकार को किसानों की मांगों को गंभीरता से लेना चाहिए, विशेषकर न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की कानूनी गारंटी की। उनका मानना था कि सरकार की नीतियाँ किसानों के हितों के खिलाफ हैं और इससे उनकी आजीविका को खतरा है।
Malik ने किसानों से एकजुट होने की अपील की और कहा कि एकजुटता से ही वे अपनी मांगों को सरकार तक पहुँचा सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि किसानों की आवाज़ को दबाया नहीं जा सकता और वे अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करते रहेंगे।
उनकी आलोचनाएँ और समर्थन किसानों के बीच एक महत्वपूर्ण आवाज़ के रूप में उभरीं, जो सरकार की नीतियों के प्रति असंतोष और विरोध को व्यक्त करती थीं।
उनकी मृत्यु के बाद, विभिन्न राजनीतिक नेताओं ने उनकी साहसिकता और किसानों के प्रति उनके समर्थन की सराहना की। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री Mamata Banerjee ने उन्हें “कुछ असहज सच्चाइयाँ बोलने की हिम्मत रखने वाला नेता” बताया और उनके योगदान को सम्मानित किया।
Kiru Hydropower मामले के कानूनी विवरण
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दिसंबर 2022 से शुरू हुई जांच में CBI ने मई 2025 में Satya Pal Malik समेत छह अन्य के खिलाफ ₹2,200 करोड़ की Kiru Hydropower परियोजना में कथित भ्रष्टाचार को लेकर चार्जशीट दाखिल की।
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Malik ने खुद दावा किया था कि उन्हें ₹300 करोड़ की रिश्वत की पेशकश की गई, जिसे उन्होंने ठुकरा दिया था।
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CBI की प्राथमिकी अनुसार सरकार और Chenab Valley Power Projects Ltd ने e‑tendering नियम नहीं माने, और अनुबंध Patel Engineering Ltd को दिया गया, जो नियमों का उल्लंघन माना गया।
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Malik ने इस पर प्रतिक्रिया में सोशल मीडिया (X) पर लिखा, “Halat kharab hai” — जिससे उनकी चिंता और नाराज़गी स्पष्ट हुई।
उनके जीवन के अंतिम वर्ष विवादों से भी घिरे रहे, 2025 में CBI द्वारा उन पर ₹2,200 करोड़ के Kishtwar हाइड्रो-इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट से संबंधित घूस मामले में chargesheet दाखिल की गई, जिसमें उनके एक साथी को भी आरोपी बनाया गया। इस बीच, उन्होंने स्वयं 2021 में इस आरोप के बारे में सार्वजनिक रूप से जानकारी दी थी, जिसके कुछ वर्ष बाद ही मामला chargesheet में तब्दील हुआ।
उसी दौरान, सीबीआई ने Kiru Hydropower Project (₹2,200 करोड़ का सिविल कॉन्ट्रैक्ट) से संबंधित कथित भ्रष्टाचार मामले में उन और अन्य सात लोगों के खिलाफ चारा्जशीट दाखिल की। इसमें Malik को 150‑150 करोड़ रुपये की रिश्वत लेने का प्रस्ताव बताया गया, जिसे उन्होंने स्पष्ट रूप से नामंजूर कर दिया था और उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार उन्हें झूठे घोटाले का हिस्सा बना रही है। उन्होंने सार्वजनिक रूप से कहा कि “मैं किसान का बेटा हूँ… डरने वाला नहीं हूँ”।
उनके निधन पर कई राजनीतिक हस्तियों ने शोक व्यक्त किया:
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CM Yogi Adityanath ने उन्हें “extremely sad” बताते हुए श्रद्धांजलि दी।
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BSP प्रमुख Mayawati ने उनके सार्वजनिक जीवन और सेवा पर प्रकाश डाला।
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SP प्रमुख Akhilesh Yadav ने उन्हें सच्चाई और न्याय के लिए आवाज उठाने वाला नेता बताया।
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PM Narendra Modi ने भी उनका निधन दुःखद बताया और परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त की।
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Congress अध्यक्ष Mallikarjun Kharge ने Malik को “farmer-friendly” नेता के रूप में याद किया।
Satyapal Malik का राजनीतिक जीवन उठा-पटक, आदर्शवाद और विवादों से भरपूर रहा। वे किसानों के नेता, मुखर आलोचक और सामाजिक न्याय के लिए आवाज़ उठाने वाले राजनेता थे, जिनका निधन 5 अगस्त 2025 को हुआ। इस प्रकार, Satya Pal Malik का जीवन राजनीतिक दृष्टि से गहन एवं विवादास्पद था, जिसमें बुजुर्ग अवस्था में स्वास्थ्य संकट, भ्रष्टाचार आरोप, और Article 370 हटाये जाने जैसी ऐतिहासिक घटनाओं के बीच उनका योगदान और आलोचना दोनों शामिल थे।