अंतरिक्ष में भारत का गौरव: Shubhanshu Shukla की ऐतिहासिक यात्रा

Shubhanshu Shukla
Shubhanshu Shukla
PM at the inauguration of various ISRO projects at Vikram Sarabhai Space centre (VSSC) in Thiruvananthapuram, Kerala on February 27, 2024.

भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन और टेस्ट पायलट Shubhanshu Shukla ने 15 जुलाई 2025 को अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) से सफलतापूर्वक पृथ्वी पर वापसी की, जिससे वह अंतरिक्ष में जाने वाले दूसरे भारतीय नागरिक बने। उन्होंने 18 दिन ISS पर बिताए, जहां उन्होंने सात महत्वपूर्ण वैज्ञानिक प्रयोग किए, जिनमें माइक्रोग्रैविटी में फसल विकास, जैव प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य विज्ञान, और जीवन समर्थन प्रणालियों पर शोध शामिल था। shubhanshushukla.in+1Indiatimes+1

Shubhanshu Shukla का जन्म 10 अक्टूबर 1985 को लखनऊ, उत्तर प्रदेश में हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा सिटी मोंटेसरी स्कूल से प्राप्त की। 1999 के कारगिल युद्ध से प्रेरित होकर, उन्होंने राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (NDA) की परीक्षा दी और पास की। 2006 में भारतीय वायुसेना में फ्लाइंग ऑफिसर के रूप में कमीशन प्राप्त किया। उन्होंने Su-30 MKI, MiG-21, MiG-29, Jaguar, Hawk, Dornier, और An-32 जैसे विमानों पर 2,000 घंटे से अधिक उड़ान अनुभव प्राप्त किया। Encyclopedia Britannica+3Moneycontrol+3Indiatimes+3

2019 में, उन्हें ISRO के मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम के लिए चुना गया और 2020 में रूस के यूरी गागरिन कॉस्मोनॉट ट्रेनिंग सेंटर में बुनियादी प्रशिक्षण लिया। 2024 में, उन्हें Gaganyaan मिशन के लिए एक प्रमुख सदस्य के रूप में नामित किया गया। अगले वर्ष, ISRO ने उन्हें Axiom Mission 4 के लिए मिशन पायलट के रूप में चुना, जो NASA, SpaceX, और Axiom Space के साथ साझेदारी में आयोजित किया गया था। Moneycontrol+5shubhanshushukla.in+5Encyclopedia Britannica+5

इस मिशन ने न केवल भारत की अंतरिक्ष अन्वेषण क्षमताओं को प्रदर्शित किया, बल्कि आगामी ‘गगनयान’ मिशन के लिए भी महत्वपूर्ण अनुभव प्रदान किया।

Shubhanshu Shukla के इस मिशन में, उन्होंने माइक्रोग्रैविटी में फसल विकास, जैव प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य विज्ञान, और जीवन समर्थन प्रणालियों पर सात महत्वपूर्ण वैज्ञानिक प्रयोग किए। इन प्रयोगों में भारतीय खाद्य पदार्थों जैसे मूंग और मेथी के विकास, स्पिरुलिना जैसे माइक्रोएल्गी के अध्ययन, और मानव स्वास्थ्य पर प्रभावों का विश्लेषण शामिल था। यह शोध भारत के आगामी ‘गगनयान’ मिशन के लिए जीवन समर्थन प्रणालियों और चिकित्सा प्रौद्योगिकी के विकास में सहायक होगा। The Week

इस मिशन के दौरान, शुक्ला ने न केवल वैज्ञानिक अनुसंधान में भाग लिया, बल्कि भारतीय छात्रों और शोधकर्ताओं के साथ संवाद स्थापित कर उन्हें प्रेरित किया। उनकी यह उपलब्धि भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, जो देश को मानव अंतरिक्ष उड़ान में अग्रणी बनाने की दिशा में है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्ला की वापसी पर उन्हें बधाई दी और कहा कि उनकी उपलब्धि ने एक अरब सपनों को प्रेरित किया है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी शुक्ला के पिता से व्यक्तिगत रूप से बात की और उनकी उपलब्धियों पर गर्व व्यक्त किया।

इस प्रकार, Shubhanshu Shukla की अंतरिक्ष यात्रा ने न केवल भारत की अंतरिक्ष अन्वेषण क्षमताओं को प्रदर्शित किया, बल्कि आगामी मिशनों के लिए महत्वपूर्ण मार्गदर्शन भी प्रदान किया है।

Shubhanshu Shuklaइस मिशन के दौरान, Shubhanshu Shukla ने भारतीय संस्थानों द्वारा डिज़ाइन किए गए सात वैज्ञानिक प्रयोग किए, जो कृषि, जैव प्रौद्योगिकी, और स्वास्थ्य विज्ञान में महत्वपूर्ण योगदान देंगे। इसमें माइक्रोग्रैविटी में फसल विकास, जैव प्रौद्योगिकी में अनुसंधान, और जीवन समर्थन प्रणालियों पर अध्ययन शामिल थे। shubhanshushukla.in

उनकी वापसी पर, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने उनके पिता से व्यक्तिगत रूप से बात की और उनकी उपलब्धियों पर गर्व व्यक्त किया। उनकी सफलता भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है और Gaganyaan मिशन के लिए मार्ग प्रशस्त करती है, जो 2027 में लॉन्च होने की संभावना है।The Times of IndiaIndiatimes+2Indiatimes+2The Economic Times+2

भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन Shubhanshu Shukla ने 15 जुलाई 2025 को स्पेसएक्स की ड्रैगन कैप्सूल ‘ग्रेस’ में सवार होकर अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) से पृथ्वी की ओर वापसी की। यह मिशन Axiom-4 का हिस्सा था, जिसमें शुभांशु शुक्ला के साथ अमेरिकी कमांडर पेगी व्हिटसन, पोलैंड के स्लावोश उज़नांस्की-विस्निव्स्की और हंगरी के टिबोर कपू भी शामिल थे।

स्पेसक्राफ्ट ने लगभग 22.5 घंटे की यात्रा के बाद प्रशांत महासागर में कैलिफोर्निया के सैन डिएगो के पास सुरक्षित लैंडिंग की। लैंडिंग के बाद, शुभांशु शुक्ला को सहकर्मियों की मदद से कैप्सूल से बाहर निकाला गया, और उन्होंने कैमरे की ओर मुस्कुराते हुए हाथ हिलाया। www.ndtv.comThe Times of India

इस ऐतिहासिक मिशन के दौरान, Shubhanshu Shukla ने 18 दिनों तक ISS पर रहकर 60 से अधिक वैज्ञानिक प्रयोगों में भाग लिया, जिनमें भारत द्वारा डिज़ाइन किए गए प्रयोग भी शामिल थे। इससे भारत के आगामी ‘गगनयान’ मिशन के लिए महत्वपूर्ण अनुभव प्राप्त हुआ है। Indiatimes

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने Shubhanshu Shukla की वापसी पर उन्हें बधाई दी और कहा कि उनकी उपलब्धि ने एक अरब सपनों को प्रेरित किया है। उन्होंने इसे भारत के मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन ‘गगनयान’ की ओर एक महत्वपूर्ण कदम बताया।

Shubhanshu Shukla की वापसी ने भारत के अंतरिक्ष अन्वेषण में बढ़ते योगदान को उजागर किया है और यह आगामी अंतरिक्ष अभियानों के लिए एक प्रेरणा स्रोत है।

Shubhanshu Shukla की यात्रा न केवल व्यक्तिगत उपलब्धि है, बल्कि यह भारत की अंतरिक्ष अन्वेषण में बढ़ती हुई उपस्थिति और भविष्य के मानव अंतरिक्ष उड़ान अभियानों के लिए प्रतिबद्धता को भी दर्शाती है।

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