उत्तरकाशी में विपदा के बीच मानवीय सहयोग: बचाव और पुनर्वास की दिशा में असाधारण प्रयास

उत्तरकाशी

उत्तरकाशी जिले के धराली व हर्षिल क्षेत्रों में 5 अगस्त 2025 को तीन स्थानों पर भीषण बादल फटने की घटनाएँ हुईं, जिससे अचानक फ्लैश फ्लड और भूस्खलन हुआ। इसने पर्वतीय गांवों सहित होटलों, घरों और सड़क मार्गों को बुरी तरह प्रभावित किया।

स्थानीय रिपोर्ट और प्रशासनिक जानकारी के अनुसार अब तक कम से कम 4 लोगों की मृत्यु हुई है, और 50 से अधिक लोग लापता बताए जा रहे हैं। सरकारी अधिकारी इसे बढ़ते हुए “लापता” आंकड़ों का संकेत मान रहे हैं।

चीना संक्रमण नियंत्रण दस्ते (ITBP), राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF), एसडीआरएफ, सेना और जिला प्रशासन ने मानव रहित सहायता अभियान तेज़ी से बढ़ाया। भारी बारिश और भूस्खलन की वजह से रास्ते बंद हो गए हैं, जिससे बचाव कार्यों में बाधा आ रही है।

एक चश्मदीद ने बताया कि धराली गांव का पूरा ढांचा मात्र 30 सेकंड में तबाह हो गया। उन्होंने अपने 65 साल में पहला ऐसा दृश्य देखा है, जब इतनी तेज़ी से आपदा फैली हो। स्थानीय लोगों का अनुमान है कि 60–70 लोग मारे गए हो सकते हैं। सेना और एयरफोर्स आपात स्थिति में तैनात हैं।

हॉर्सिल के पास एक बादल फटने से भारतीय सेना के 8–10 जवान लापता बताए जा रहे हैं, बावजूद इसके बचाव अभियान में उन्होंने सक्रिय भूमिका निभाई। मौसम विभाग ने पूरे प्रदेश में लाल अलर्ट (शक्तिशाली बारिश) जारी किया है।

राहत और बचाव कार्य की स्थिति

  • प्रतिक्रिया का प्रारंभिक स्वरूप
    5 अगस्त 2025 को बादल फटने (cloudburst) के तुरंत बाद एसडीआरएफ, एनडीआरएफ, इंडियन आर्मी और आईटीबीपी सहित कई एजेंसियाँ “war footing” पर बचाव कार्य में लगीं। लगभग 150 सैनिक, पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी राहत‑कार्य में तेजी से लग गए हैं।
  • जनहानि और लापता लोग
    प्रारंभिक रिपोर्ट में कम से कम 4 लोगों की मौत हुई है, जबकि लगभग 100 लोग लापता बताए गए हैं। अनुमानित संख्या स्थानीय अधिकारियों और आपदा प्रबंधन एजेंसियों द्वारा साझा की जा रही है।
  • सेना जवानों की स्थिति
    हर्षिल क्षेत्र में 8–10 भारतीय सेना के जवान लापता हैं, बावजूद इसके सेना बचाव प्रयासों को रोकने की बजाय और सशक्त कर रही है।
  • एयर सहायता
    कठिन भौगोलिक स्थिति को देखते हुए तीन हेलिकॉप्टर तैनात किए गए हैं ताकि ऊपरी इलाकों से फंसे लोगों को निकाला जा सके।
  • राहत केंद्र और हेल्पलाइन
    स्थानीय प्रशासन ने प्रभावितों के लिए हेल्पलाइन नंबर 9456556431 जारी किया है, जिससे घायलों और फंसे हुए लोगों तक सहायता पहुँचाई जा सके।

राहत शिविर और अस्थाई आश्रय व्यवस्था

  • अधिकारी समय रहते होटलों और स्कूलों में अस्थाई राहत शिविर स्थापित कर रहे हैं, ताकि विस्थापित लोगों को प्राथमिक आश्रय मिल सके। इसमें करीब आधा धराली गांव और आसपास के प्रभावित परिवार शामिल हैं।

  • अधिकांश विस्थापितों को रात भर के लिए सुरक्षित स्थान और भोजन की व्यवस्था से जोड़ा गया है।

प्रभावित परिवारों के लिए प्राथमिक सहायता

  • एसडीआरएफ, एनडीआरएफ, सेना, आईटीबीपी सहित बचाव दल मातहत अभियान चला रहे हैं, जिसमें 150 सैनिकों ने बचाव कार्यों में भाग लिया और लगभग 20 लोगों को सुरक्षित निकाला।

  • स्थानीय प्रशासन भोजन, पानी, दवाइयाँ, कपड़े आदि वितरित कर रहा है।

स्वास्थ्य और चिकित्सा सेवाएं

  • एम्स ऋषिकेश में घायल लोगों के लिए बिस्तर आरक्षित किए गए हैं एवं घायलों को एयर एंबुलेंस के ज़रिये अस्पताल भेजा जा रहा है।

  • मेडिकल टीम द्वारा प्राथमिक स्वास्थ्य जांच और आपातकालीन देखभाल जारी है।

पुनर्वास और दीर्घकालिक सहायता प्रयास

  • प्रभावित परिवारों के स्थायी आवास के लिए योजना जारी है, लेकिन अभी तक कोई आधिकारिक reconstruction plan स्पष्ट नहीं हुआ है।

  • अतीत के उदाहरणों (2013 की आपदा) से सीखा गया है कि टेंट, बर्तन, कपड़े, ट्रांसपोर्ट सहायता दी जाती है, साथ ही दीर्घकालीन पुनर्वास के लिए समुदाय‑स्तर के केंद्रों का निर्माण होता है।

सीमावर्ती क्षेत्र और सहायता संचालन

  • सीमा‑सड़क संगठन (BRO) और अन्य बलों की मदद से कठिन इलाकों से बचाव सामग्री विमान एवं ट्रॉली के जरिए पहुँचाई जा रही है

  • प्राथमिक जांच और नुकसान का विवरण तैयार करने के लिए nodal अधिकारियों (IAS अधिकारी) को नोडल जोन नियुक्त किया गया है, जो सतत निगरानी कर रहे हैं।

वर्तमान स्थिति और आगे की योजनाएँ

  • प्रभावित परिवारों को भोजन, दवा, कपड़े, आश्रय जैसे तत्काल पहलुओं में सहायता मिल रही है।

  • खोजी कुत्तों की टीमें (search‑dogs) लापता शवों की तलाश में तैनात हैं, जिन्हें दिल्ली से एयरलिफ्ट किया गया है।

  • केंद्र और राज्य सरकार द्वारा विशेष राहत कोष, reconstruction grants, और दीर्घकालिक पुनर्वास (आवास, बुनियादी सुविधाएं, सामुदायिक केंद्र) की योजना बन रही है, हालांकि अभी विस्तृत प्रारूप सार्वजनिक नहीं हुआ है।

प्रशासन और नेता Statements

  • मुख्यमंत्री का मुआयना
    मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया और स्थिति की समीक्षा की। कहा गया कि बचाव और राहत कार्य लगातार जारी है और सभी संसाधनों का उपयोग किया जा रहा है।
  • प्रधानमंत्री की प्रतिक्रिया
    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गहरी संवेदना प्रकट की, प्रभावितों की सहायता एवं पुनर्वास की प्रक्रिया में सक्रियता बढ़ाने का आग्रह किया।
बिंदु विवरण
प्रभावित क्षेत्र धराली व हर्षिल, उत्तरकाशी
मारे गए कम से कम 4 लोग
लापता/अनुपस्थित लगभग 100 लोग, जिनमें सेना जवान भी शामिल हैं
राहत टीमें सेना, ITBP, NDRF, SDRF, पुलिस एवं स्थानीय प्रशासन
एयर सहायता 3 हेलिकॉप्टर के माध्यम से बचाव और चिकित्सा विमानन सहायता
हेल्पलाइन नंबर 9456556431 – जरूरी जानकारी/राहत हेतु संपर्क हेतु
तस्वीरों का अर्थ व्यापक तबाही—वास्तविक दृश्य जो राहत कार्य की आवश्यकता दर्शाते हैं

1. वित्तीय सहायता (Financial Assistance)

  • उत्तराखंड सरकार ने राज्य में बारिश और जलप्रलय संबंधी घटनाओं में मृतकों के परिवारों के लिए ₹4 लाख प्रति परिवार की ex gratia सहायता देने की घोषणा की है। यह पिछले आपदाओं में भी लागू किया गया था, जैसे कि चमोली ग्लेशियर घटना में।

  • बीते हादसों के संदर्भ में, सरकार ₹1.5 लाख तक की interim relief भी प्रदान करती है, ताकि प्रभावित परिवारों को तत्काल राहत मिल सके।

  • अभी तक वर्तमान घटना में राज्य स्तर पर ₹4 लाख प्रति मृतक परिवार और ₹1‑2 लाख की प्रारंभिक मदद की योजनाओं की घोषणा नहीं मिली है, लेकिन प्रबंधन निधि तत्काल जारी हो सकती है—जैसा कि राज्य की नीति रही है।

2. नोडल अधिकारी और संपर्क (Nodal Officers & Contacts)

  • District Emergency Operation Centre (DEOC), Uttarkashi द्वारा जारी हॉटलाइन नंबर:

    • 01374‑222126

    • 01374‑222722

    • 9456556431
      इन नंबरों से प्रभावित परिवार समाचार प्राप्त कर सकते हैं और सहायता के लिए जान‌कारी पा सकते हैं।

  • District Missing Cell (Dehradun स्थित उत्तराखंड Secretariat के अंतर्गत):

    • Dr. Ajay Kumar Pradyot, Secretary/In‑charge: 0135‑2712092

    • Mrs. Nidhi Mani Tripathi, Addl Secretary/Co‑Incharge: 0135‑2714389

    • Missing Cell helpline: 0135‑2104175, 2104176, 2104180, 2104181

  • SDRF Uttarakhand के निदेशक Abhinav Kumar, IPS, प्रमुख अधिकारी हैं, साथ ही पुलिस व गृह विभाग (Home Affairs) से जुड़े अधिकारियों के तहत संचालन सुनिश्चित होता है।

3. NGO एवं सामाजिक संगठनों की भूमिका (Role of NGOs)

Art of Living Foundation

  • रिषिकेश, हर्षिल, धराली जैसे क्षेत्रों में व्यवस्थित relief camps स्थापित किए गए।

  • खाद्य वितरण (dry ration, biscoots, चावल, दाल), blankets, utensils, medical camps और transit shelters का आयोजन।

  • Trauma relief workshops, विभिन्न स्थानों पर meditation और breathing techniques प्रदान की, जिससे प्रभावितों का मानसिक संतुलन बेहतर हो सके।artofliving.org

Pragya (प्रज्ञा)

  • हिमालयी क्षेत्रों में पहले से relief & rehabilitation कार्यों में अनुभवी NGO है।

  • 2013 की उत्तराखंड बाढ़ में उन्होंने food packets, medicine kits, water purification tablets, tents, hygiene kits, school supplies आदि वितरित किए थे।en.wikipedia.org

  • वर्तमान घटना में उन्होंने शीघ्र सहायता देने के लिए सतत निगरानी, व्यवस्थागत सहयोग एवं सामुदायिक पुनर्निर्माण पर काम अपनी रणनीति बनाकर रखा है।

Sewa International / Waste Warriors Society

  • इस तरह की आपदाओं में रेशन किट्स (₹1,000 प्रति किट में आटा, दाल, चावल, तेल, साबुन आदि) तत्काल वितरण हेतु फंडिंग करते हैं।give.dosewainternational.org

Seva Bharati / RSS-affiliated संगठन

  • 2013 और अन्य आपदाओं के दौरान, Seva Bharati ने हजारों स्वयंसेवकों के ज़रिए राहत सामग्री, भोजन वितरण, बचाव अभियानों और मेडिकल सहायता में सक्रिय भूमिका निभाई। उत्तरकाशी में भी इन्हकी क्षमताओं से मदद मिलने की संभावना है।en.wikipedia.org

4. स्थानीय पुनर्निर्माण एवं आगे की योजनाएँ

  • स्थायी आवास और पुनर्वास: प्रभावित परिवारों के लिए सरकारी reconstruction grants, टेंट वितरण, राशन सहायता, और कॉम्पेनसेशन योजनाओं की रूपरेखा वर्तमान में प्रारंभिक अवस्था में है। पिछले उदहारणों (2013‑14) के अनुसार इसकी रूप-रेखा तैयार हो रही है।

  • आपदा‑तैयारी और प्रशिक्षण: Pragya एवं अन्य संस्थाएँ mock drill, disaster preparedness workshops, जल और स्वच्छता योजनाओं का पुनर्स्थापन, और विद्यालय एवं समुदाय केंद्रों के पुनर्निर्माण पर काम कर रही हैं।

ताजातरीन रिपोर्ट्स में एक गाड़ी के परिवाहकों सहित तेज बहाव में बह जाने की भयावह घटना सामने आई है, जिसमें जिसमें गाड़ी पानी के तेज प्रवाह में समा गई, यात्रियों की स्थिति अभी अनिश्चित है।

मौसम विज्ञानियों ने इस घटना की पृष्ठभूमि में जलवायु परिवर्तन, अस्थिर पर्वतीय मौसम, और भौगोलिक झुकाव को मुख्य कारण बताया है। यह घटना मॉनसून के दौरान छिटपुट लेकिन ताकतवर बादल फटने (cloudburst) की बढ़ती प्रवृत्ति की ओर इशारा करती है।

यह घटना स्थानीय समुदाय के लिए विनाशकारी है, और राहत एवं पुनर्वास कार्य अभी जारी है।

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