डॉ. Radhika Pandey, भारत की एक प्रमुख अर्थशास्त्री, नीति शोधकर्ता और शिक्षिका थीं, जिनका 28 जून 2025 को नई दिल्ली के Institute of Liver and Biliary Sciences (ILBS) में निधन हो गया। वे 46 वर्ष की थीं।
उनकी शिक्षा Banaras Hindu University से बी.ए. (ऑनर्स) और Jai Narain Vyas University, Jodhpur से एम.ए. और पीएच.डी. (अर्थशास्त्र) में हुई थी।
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बी.ए. (ऑनर्स) अर्थशास्त्र – बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU), वाराणसी
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एम.ए. और पीएच.डी. अर्थशास्त्र – जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय (JNVU), जोधपुर
डॉ. Pandey का करियर 20 वर्षों से अधिक का था, जिसमें उन्होंने National Law University, Jodhpur में अध्यापन किया और 2008 से National Institute of Public Finance and Policy (NIPFP), नई दिल्ली में Associate Professor के रूप में कार्य किया।
उनकी विशेषज्ञता के क्षेत्र में व्यापार चक्र विश्लेषण, पूंजी नियंत्रण, वित्तीय क्षेत्र नियमन और मौद्रिक नीति शामिल थे। वे वित्त मंत्रालय द्वारा गठित Public Debt Management Agency के टास्क फोर्स की प्रमुख समन्वयक थीं और Financial Sector Legislative Reforms Commission की शोध टीम का हिस्सा भी थीं।
प्रमुख शोध और योगदान
डॉ. पांडे के शोध क्षेत्रों में शामिल थे:
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व्यवसाय चक्र विश्लेषण (Business Cycle Analysis)
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मुद्रास्फीति लक्ष्य निर्धारण ढांचा (Inflation Targeting Framework)
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वित्तीय क्षेत्र नियमन (Financial Sector Regulation)
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पूंजी नियंत्रण (Capital Controls)
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घरेलू उपभोग व्यवहार (Household Consumption Behaviour)
उन्होंने वित्त मंत्रालय द्वारा गठित पब्लिक डेब्ट मैनेजमेंट एजेंसी (PDMA) टास्क फोर्स की प्रमुख समन्वयक के रूप में भी कार्य किया था। इसके अलावा, वह फाइनेंशियल सेक्टर लेजिस्लेटिव रिफॉर्म्स कमीशन (FSLRC) की शोध टीम का हिस्सा थीं, जिसने भारत के वित्तीय कानूनी ढांचे की समीक्षा और पुनर्लेखन का कार्य किया।
डॉ. Pandey ने ThePrint के लिए 2021 से नियमित रूप से “MacroSutra” नामक साप्ताहिक कॉलम लिखा, जिसमें उन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था से जुड़े मुद्दों पर सरल और स्पष्ट विश्लेषण प्रस्तुत किया।
उनकी अंतिम बीमारी टाइफाइड से शुरू हुई, जो बाद में पीलिया में परिवर्तित हो गई। उनके बेटे ने उन्हें जीवनदान देने के लिए अपने जिगर का हिस्सा दान किया, लेकिन दुर्भाग्यवश, डॉ. Pandey की स्थिति में सुधार नहीं हुआ और वे चल बसीं।
डॉ. Radhika Pandey की विद्वत्ता, सरलता और समर्पण ने भारतीय आर्थिक नीति समुदाय में एक अमिट छाप छोड़ी है। उनका योगदान और स्मृति सदैव जीवित रहेंगे।
डॉ. पांडे का निधन नई दिल्ली के इंस्टीट्यूट ऑफ लिवर एंड बायिलरी साइंसेज (ILBS) में हुआ, जहाँ उन्होंने आपातकालीन लिवर प्रत्यारोपण सर्जरी करवाई थी। उनके पुत्र ने अपनी माँ को लिवर दान किया, लेकिन दुर्भाग्यवश, सर्जरी के बाद उनकी स्थिति बिगड़ती गई और वह वेंटिलेटर पर थीं। उनकी मृत्यु से भारतीय आर्थिक नीति समुदाय में एक अपूरणीय क्षति हुई है।