13 जून 2025 को इज़राइल ने ईरान के खिलाफ एक बड़ा सैन्य अभियान “ऑपरेशन राइजिंग लायन” शुरू किया, जिसमें लगभग 200 लड़ाकू विमानों ने ईरान के परमाणु और सैन्य ठिकानों पर हमला किया।
इस हमले में नतांज़ स्थित यूरेनियम संवर्धन केंद्र, बैलिस्टिक मिसाइल निर्माण इकाइयाँ, और शीर्ष सैन्य अधिकारियों के आवास शामिल थे। ईरानी राज्य मीडिया के अनुसार, इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) के कमांडर जनरल होसैन सलामी और चीफ ऑफ स्टाफ मोहम्मद बाघेरी की मृत्यु हो गई, साथ ही प्रमुख परमाणु वैज्ञानिक फेरेदून अब्बासी और मोहम्मद मेहदी तेहरांची भी मारे गए।
ईरान ने इस हमले के जवाब में इज़राइल पर 100 से अधिक ड्रोन लॉन्च किए, जिससे दोनों देशों के बीच तनाव और बढ़ गया। ईरान, इज़राइल, इराक और जॉर्डन ने अपने हवाई क्षेत्र को अस्थायी रूप से बंद कर दिया, और वैश्विक तेल कीमतों में 8% से अधिक की वृद्धि हुई।
इज़राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने इस हमले को “राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए आवश्यक” बताया और कहा कि यह अभियान तब तक जारी रहेगा जब तक ईरान के परमाणु कार्यक्रम को समाप्त नहीं किया जाता। उन्होंने कहा कि इज़राइल ने ईरान के परमाणु संवर्धन कार्यक्रम, परमाणु हथियार निर्माण कार्यक्रम, और बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम के केंद्रों को निशाना बनाया।
इज़राइल ने राष्ट्रीय अस्तित्व के लिए लिया ‘राइजिंग लायन’ का रास्ता: “पूरी तरह खतरा मिटे तब तक हमला जारी रहेगा
बेंजामिन नेतन्याहू ने 13 जून 2025 को एक राष्ट्रव्यापी संबोधन में स्पष्ट रूप से कहा कि इज़राइल द्वारा “ऑपरेशन राइजिंग लायन” नामक सैन्य अभियान तब तक जारी रहेगा “जब तक ईरान के उस परमाणु और बैलिस्टिक मिसाइल खतरे को पूरी तरह खत्म नहीं किया गया, जो हमारे अस्तित्व के लिए सीधा खतरा बन गया है।” उन्होंने बताया कि इस पूर्व-खतरनाक (pre-emptive) मिसाइल और हवाई हमले की योजना महीनों पहले से तैयार की जा रही थी, जिसमें ईरान के परमाणु संयंत्र, बैलिस्टिक मिसाइल स्थलों तथा प्रमुख वैज्ञानिक और सैन्य कमान नेताओं को निशाना बनाया गया है।
उनके अनुसार, “हमने नतांज में स्थित परमाणु संवर्धन केंद्र और बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम पर हमला किया, परमाणु हथियारों के विकल्प विकसित करने वाले उच्च‑स्तरीय वैज्ञानिकों को भी निशाना बनाया”। उन्होंने यह भी जोर देकर कहा कि यह अभियान “इज़राइल की नागरिक आबादी की सुरक्षा और देश की बहुत ही अस्तित्व‑संबंधी चुनौती” को टालने के लिए है। नेतन्याहू ने दोहराया कि हमले का उद्देश्य “खतरे को पीछे धकेलना” है, और यह “कई दिनों या एक सप्ताह से भी अधिक समय तक संभव है, जब तक कि लक्ष्य पूरे न हो जाएँ”।
इसके अतिरिक्त, उन्होंने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को धन्यवाद दिया, जिन्होंने इजरायल को परमाणु खतरे के खिलाफ समर्थन दिया, हालांकि यूएस सरकार ने इन हमलों में किसी भी सीधे सैन्य भागीदारी से इनकार किया।
सारांश में नेतन्याहू का बयान:
- ऑपरेशन राइजिंग लायन तब तक चलेगा जब तक वह “ईरान के परमाणु व मिसाइल खतरे” को मिटाने में सफल नहीं होते।
- यह रणनीति “पूर्व-खतरनाक” हमला (pre-emptive strike) है, जिसे उन्होंने महीनों से तैयार किया था।
- लक्ष्य: नतांज में मौजूद परमाणु संयंत्र, बैलिस्टिक मिसाइल ठिकाने, और प्रमुख वैज्ञानिक व कमांडर।
- उन्होंने इसे इज़राइल की “नागरिका सुरक्षा और देश के अस्तित्व के लिए जरूरी कदम” बताया।
- अमेरिकी समर्थन का जिक्र किया पर यूएस ने कहा हमले में उसका कोई भाग नहीं था।
तेहरान में धमकों की गूंज: इज़राइल के वायु हमलों ने परमाणु व सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया
इज़राइल का हमला: प्रमुख घटनाक्रम
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हमले का दायरा: इज़राइली वायुसेना ने तेहरान, नतांज़, खोंदाब और खोर्रमाबाद सहित कई स्थानों पर हवाई हमले किए। नतांज़ का यूरेनियम संवर्धन केंद्र विशेष रूप से निशाने पर था।
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प्रमुख हताहत: ईरान के इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) के प्रमुख हुसैन सलामी, सशस्त्र बलों के चीफ ऑफ स्टाफ मोहम्मद बाघेरी, और परमाणु वैज्ञानिक फेरेयदून अब्बासी और मोहम्मद मेहदी तेहरांची इस हमले में मारे गए।
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हमले का उद्देश्य: प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा कि यह हमला ईरान की परमाणु हथियार बनाने की क्षमता को नष्ट करने और इज़राइल की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए किया गया।
ईरान की प्रतिक्रिया
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ड्रोन हमला: ईरान ने इज़राइल पर 100 से अधिक ड्रोन दागे, जिनमें से अधिकांश को इज़राइली रक्षा प्रणालियों ने नष्ट कर दिया।
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ईरान का बयान: सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामेनेई ने कहा कि इज़राइल को “कठोर और दर्दनाक” सजा भुगतनी होगी।
ईरान की आधिकारिक प्रतिक्रिया:
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तर्कसंगत आत्म-रक्षा का अधिकार
ईरान के विदेश मंत्रालय ने संयुक्त राष्ट्र चार्टर, अनुच्छेद 51 को उद्धृत करते हुए कहा कि इज़राइल की ये “स्पष्ट आक्रमण” हैं और ईरान को “वैध और जायज़” आत्म-रक्षा का अधिकार है। मंत्रालय ने कहा है कि अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुसार ईरान को अपनी “पूरी ताक़त से” जवाब देने का पूरा हक़ है। -
संयुक्त राष्ट्र में कदम उठाने की अपील
बयान में UN सुरक्षा परिषद और महासचिव से आग्रह किया गया है कि वे इस “गंभीर अंतरराष्ट्रीय शांति भंग” की निंदा करें और तुरंत हस्तक्षेप करें, ताकि अंतरराष्ट्रीय कानून की रक्षा हो सके। -
यूएस को जिम्मेदार ठहराया
ईरान ने कहा कि अगर इज़राइल ने यूएस की सहायता से यह हमला किया है, तो संयुक्त राज्य अमेरिका को भी “जोखिम और परिणामों के लिए” जिम्मेदार माना जाएगा । इससे यह संकेत मिलता है कि ईरान ने इज़राइल के साथ-साथ दूसरे देशों को भी कटघरे में खड़ा किया है।
आध्यात्मिक और रणनीतिक चेतावनी:
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अल्लामा आयतुल्ला अली खामेनेई ने इसे “एक अपराध” करार देते हुए चेतावनी दी कि इज़राइल को इसका “कड़वा और दर्दनाक अंजाम” भुगतना पड़ेगा।
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ईरानी IRGC (इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड्स कॉर्प्स) ने भी यह कहकर अपनी तैयारी जताई कि जवाबी कार्रवाई “और अधिक दर्दनाक और विध्वंसकारी” होगी, तथा उन्होंने पहले से लक्ष्यों की सूची तैयार कर रखी है।
पहलू | विवरण |
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आत्म-रक्षा का अधिकार | UN चार्टर अनुच्छेद 51 के तहत कोई पैलवान कार्रवाई वैध |
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया | UN सुरक्षा परिषद और महासचिव से तुरंत कदम उठाने की अपील |
संयुक्त राज्य की भूमिका | अगर यूएस ने मदद की, तो उसे भी जिम्मेदार माना जाएगा |
उत्तर की चेतावनी | इज़राइल को “कड़वा और दर्दनाक” जवाब देने की चेतावनी |
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाएँ
- संयुक्त राज्य अमेरिका ने इस हमले में किसी भी प्रकार की भागीदारी से इनकार किया और क्षेत्र में अपने बलों की सुरक्षा को प्राथमिकता दी। हालांकि, ईरान ने अमेरिका को इस हमले के लिए जिम्मेदार ठहराया और गंभीर परिणामों की चेतावनी दी।
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संयुक्त राष्ट्र (यूएन)
महासचिव एंटोनियो गुटेरेश ने मध्य-पूर्व में किसी भी सैन्य विस्तार की कड़ी निंदा की और दोनों पक्षों से “पूर्ण संयम” बरतने की अपील की है। -
अमेरिका
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विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने स्पष्ट कहा कि यूएस किसी हमले में शामिल नहीं था और “हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता अमेरिकी बलों की सुरक्षा” है।
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वहीं, कुछ सांसदों ने इज़राइल का समर्थन किया, जबकि कुछ ने इसे “अत्यधिक जोखिमभरा” और “बेहिसाब” वृद्धि” बताया ।
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ऑस्ट्रेलिया व न्यूजीलैंड
ऑस्ट्रेलियाई विदेश मंत्री पेनी वोंग और न्यूजीलैंड के पीएम क्रिस्टोफर लकसन ने इसे “क्षेत्रीय अस्थिरता” बढ़ाने वाला कदम करार दिया, जहां वार्ता की आवश्यकता पर जोर दिया गया। -
जापान
जापान ने अपने नागरिकों की सुरक्षा व्यवस्था और कूटनीतिक प्रयासों की घोषणा की और तटस्थ, शांतिपूर्ण समाधान की वकालत की। -
ओमान
ईरान व अमेरिका के बीच परमाणु वार्ता की मेजबानी कर रहे ओमान ने इस हमले को “संयुक्त राष्ट्र चार्टर का उल्लंघन” करार दिया और इसे “गंभीर, अविचलनीय और वैधानिक रूप से अविकसित” कहा । -
सऊदी अरब व इंडोनेशिया
दोनों ने हमला निंदा की और इसे “अंतरराष्ट्रीय कानून का अपमान” बताया, साथ ही सैन्य व राजनयिक घिनौनी योजनाएं लेने के लिए चेतावनी जारी की।
अर्थव्यवस्था और बाज़ार प्रतिक्रिया
इस हमले ने वैश्विक तेल की कीमतों में लगभग 8–10% की छलांग लगाई, जिससे ऊर्जा बाजार में भी भारी अस्थिरता और निवेशक चिंताएं बढ़ीं।
विश्लेषक दृष्टिकोण (Atlantic Council आदि):
विशेषज्ञों ने यह माना कि इज़राइल ने पूर्व-खतरनाक (pre-emptive) हमला किया है और बुलंद चेतावनी दी कि ईरान या उसके प्रॉक्सी—जैसे हेज़बोल्लाह, हाउथी—और संयुक्त रूप से प्रतिक्रिया कर सकते हैं। उन्होंने इसे क्षेत्रीय स्थिरता को गहरा धमकी बताया ।
क्षेत्र | प्रतिक्रिया |
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यूएन | कड़ा विरोध, संयम की अपील |
अमेरिका | हमले में भागीदारी नकारना, बलों सुरक्षा पर जोर |
ऑस्ट्रेलिया–न्यूज़ीलैंड | तनाव बढ़ने की चेतावनी, वार्ता की वकालत |
जापान | नागरिक सुरक्षा और शांतिपूर्ण मध्यस्थता |
ओमान | अंतरराष्ट्रीय कानून उल्लंघन और निंदा |
सऊदी–इंडोनेशिया | प्रबल निंदा, क्षेत्रीय शांति को खतरा |
बाजार | तेल में 8–10% की तेजी, वैश्विक आर्थिक जोखिम |
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हवाई क्षेत्र बंद: ईरान, इराक, जॉर्डन और इज़राइल ने अपने हवाई क्षेत्र अस्थायी रूप से बंद कर दिए हैं, जिससे अंतरराष्ट्रीय उड़ानों पर असर पड़ा है।
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तेल की कीमतों में वृद्धि: मध्य पूर्व में बढ़ते तनाव के कारण कच्चे तेल की कीमतों में 12% से अधिक की वृद्धि हुई है।
इस हमले के बाद, अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने चिंता व्यक्त की है कि यह संघर्ष व्यापक क्षेत्रीय युद्ध में बदल सकता है, जिससे वैश्विक स्थिरता और सुरक्षा पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।
इस विषय पर विस्तृत जानकारी के लिए आप निम्नलिखित वीडियो देख सकते हैं: