धनतेरस 2025: समृद्धि, स्वास्थ्य और सुख-शांति का शुभ आरंभ

धनतेरस

कल, 18 अक्टूबर 2025, शनिवार को धनतेरस का पर्व मनाया जाएगा। धनतेरस, जिसे धनत्रयोदशी भी कहा जाता है, दीपावली महापर्व का पहला दिन होता है और विशेष रूप से भगवान धन्वंतरि, भगवान कुबेर तथा माता लक्ष्मी की पूजा का दिन माना जाता है। यह हिन्दू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन विशेष रूप से भगवान धन्वंतरि, जो आयुर्वेद के देवता माने जाते हैं, उनकी पूजा की जाती है। कहा जाता है कि समुद्र मंथन के दौरान भगवान धन्वंतरि अमृत कलश के साथ पृथ्वी पर उतरे थे, और उसी दिन को धनतेरस के रूप में शुभ माना गया। यह पर्व आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है, जो आमतौर पर अक्टूबर या नवंबर माह में पड़ती है। धनतेरस का प्रमुख उद्देश्य स्वास्थ्य, समृद्धि और खुशहाली की प्राप्ति के लिए पूजा-अर्चना करना है। इस दिन भगवान धन्वंतरि, जिन्हें आयुर्वेद का जनक माना जाता है, का विशेष रूप से पूजन किया जाता है। मान्यता है कि धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि अमृत कलश के साथ पृथ्वी पर आए थे और इसी दिन उनका आभिषेक करके धन, स्वास्थ्य और लंबी आयु की प्राप्ति की जाती है।

हिंदू धर्म के अनुसार, समुद्र मंथन देवताओं और असुरों के बीच हुआ एक अद्भुत घटनाक्रम था, जिसमें अमृत और अनेक दिव्य वस्तुएँ उत्पन्न हुईं। बहुत समय पहले, देव और असुर अपने-अपने स्वार्थ और शक्ति के लिए सर्वोच्च अमृत की प्राप्ति करना चाहते थे। उस समय दृढ़ निश्चय के साथ समुद्र मंथन शुरू हुआ। समुद्र मंथन के दौरान बहुत सी दिव्य वस्तुएँ उत्पन्न हुईं, जैसे कैलास के फूल, रत्न, देवी लक्ष्मी का आगमन, और अंत में स्वर्ण कलश में अमृत

इसी मंथन के दौरान, भगवान धन्वंतरि प्रकट हुए। वे भगवान विष्णु के अवतार माने जाते हैं और उन्हें आयु, स्वास्थ्य और चिकित्सा के देवता के रूप में पूजा जाता है। भगवान धन्वंतरि ने सर्वश्रेष्ठ चिकित्सा और अमृत सहित समुद्र से प्रकट होकर देवताओं को वितरित किया। इसलिए धनतेरस पर भगवान धन्वंतरि की पूजा विशेष महत्व रखती है। लोग इस दिन उन्हें याद करते हुए स्वास्थ्य और समृद्धि की कामना करते हैं। साथ ही, सोना-चाँदी या धातु के बर्तन खरीदने की परंपरा भी इसी दिन से जुड़ी हुई मानी जाती है। धनतेरस की कथा हमें यह सिखाती है कि भक्ति, सतर्कता और सही कर्म से हम जीवन में स्वास्थ्य, समृद्धि और खुशहाली प्राप्त कर सकते हैं।

धनतेरस पर लोग सोना, चांदी, धातु के बर्तन और नए उपकरण खरीदते हैं, क्योंकि इसे समृद्धि और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। इस दिन यमदीप जलाने की परंपरा भी है, जिसमें दीपक के साथ सिक्का या कौड़ी डालकर आर्थिक सुख और समृद्धि की कामना की जाती है। इसके अलावा घर की सफाई और सजावट की जाती है, ताकि माता लक्ष्मी का स्वागत किया जा सके। धनतेरस केवल धन और भौतिक समृद्धि का पर्व नहीं है, बल्कि यह स्वास्थ्य, ज्ञान और सुख-शांति के लिए शुभ कार्यों का प्रतीक भी माना जाता है।

धनतेरस की पूजा का मुहूर्त:

  • आरंभ: सायं 7:15 बजे

  • समाप्त: सायं 8:19 बजे

यह समय वृषभ काल और प्रदोष काल में आता है, जो पूजा के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दौरान धनतेरस की पूजा, धन और समृद्धि की प्राप्ति के लिए विशेष फलदायक मानी जाती है। इस दिन लोग सोने, चांदी, धातु के बर्तन, इलेक्ट्रॉनिक सामान, वाहन आदि की खरीदारी करते हैं, क्योंकि इसे समृद्धि और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है।

धनतेरस पूजा विधि 

1. घर की तैयारी:

  • पूजा से पहले घर को अच्छे से साफ करें और दीयों से सजाएँ।

  • पूजा स्थल पर लाल कपड़ा बिछाएँ और वहां माता लक्ष्मी, भगवान धन्वंतरि और भगवान कुबेर की मूर्तियाँ या चित्र रखें।

2. पूजा सामग्री:

  • अक्षत (चावल), हल्दी, कुमकुम, फूल, दीपक, मिठाई, सुपारी, धान, जल, धन से संबंधित वस्तुएँ।

  • सोने, चांदी या धातु के बर्तन, सिक्के आदि।

3. पूजा विधि:

  1. सबसे पहले भगवान धन्वंतरि की पूजा करें और उनका ध्यान करें।

  2. इसके बाद माता लक्ष्मी और भगवान कुबेर की पूजा करें।

  3. दीपक जलाएँ और उनके सामने दीप रखें।

  4. धूप और अगरबत्ती जलाएँ।

  5. मंत्रों का उच्चारण करें:

    • मंत्र उदाहरण:

      • “ॐ महालक्ष्म्यै नमः” (माता लक्ष्मी के लिए)

      • “ॐ कुबेराय नमः” (भगवान कुबेर के लिए)

      • “ॐ धन्वंतरये नमः” (भगवान धन्वंतरि के लिए)

  6. पूजा के अंत में मिठाई और फल चढ़ाएँ।

4. यमदीप का महत्व:

  • इस दिन एक दीपक जलाएँ और उसमें कौड़ी और सिक्का डालें

  • दीपक को घर के पूजा स्थल या दरवाजे पर रखें।

  • दीपक बुझने के बाद सिक्का और कौड़ी तिजोरी में रख दें।

  • ऐसा करने से घर में धन की वृद्धि होती है और आर्थिक संकट दूर होता है।

5. खरीदारी:

  • इस दिन सोना, चांदी, धातु के बर्तन, इलेक्ट्रॉनिक वस्तुएँ या वाहन खरीदना शुभ माना जाता है।

  • खाली बर्तन, उधार लिए हुए पैसे या नमक दान करने से बचें।

6. आरती समय:

  • धनतेरस की आरती पूजा मुहूर्त के दौरान शाम 7:15 बजे से 8:19 बजे तक करें।

  • दीपक और पुष्प अर्पित करते हुए माता लक्ष्मी की आरती गाएँ।

7. महत्व:

  • धनतेरस का दिन स्वास्थ्य, समृद्धि और सुख-शांति का प्रतीक है।

  • इस दिन की गई पूजा से घर में लक्ष्मी का वास होता है और धन-संपत्ति में वृद्धि होती है।

इस दिन कुछ कार्यों से बचना चाहिए, जैसे- घर की सफाई, दरवाजे बंद करना, नमक दान करना, पैसे उधार देना, घर में ताला लगाना और खाली बर्तन खरीदना। ऐसा करने से लक्ष्मी देवी नाराज हो सकती हैं और घर में आर्थिक संकट आ सकता है। धनतेरस का पर्व समृद्धि, स्वास्थ्य और सुख-शांति की कामना का प्रतीक है। इस दिन की गई पूजा और खरीदारी से घर में लक्ष्मी का वास होता है और समृद्धि की प्राप्ति होती है।

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