वाराणसी में धनतेरस का भव्य उत्सव: मां लक्ष्मी और धन्वंतरि की आराधना का अनोखा अनुभव

धनतेरस

काशी में इस साल धनतेरस का उत्सव बड़े श्रद्धा एवं रौनक के साथ 18 अक्तूबर 2025 को मनाया जा रहा है। इस दिन लोग मां लक्ष्मी, कुबेर और भगवान धन्वंतरि की पूजा करके धन-समृद्धि और स्वास्थ्य की प्रार्थना करते हैं; पूजा के श्रेष्ठ मुहूर्त शाम के प्रादोष काल में — लगभग 7:15–8:20 बजे के आसपास घोषित किए गए हैं, इसलिए बनारस के मंदिरों और घाटों पर सुबह से ही भक्ति-विनय का क्रम चलता रहेगा। खास बनारसी अपडेट के तौर पर इस बार मां अन्नपूर्णा मंदिर में 18 अक्तूबर से 22 अक्तूबर तक विशेष दर्शन और सुनहरे/रजत प्रतिमाओं के दर्शन व “खजाना”/लावा वितरण के कार्यक्रम रखे गए हैं।

धनतेरस के शुभ अवसर पर वाराणसी में श्रद्धा और भक्ति का अद्भुत संगम देखने को मिलता है। काशी नगरी के हृदय में स्थित श्री काशी विश्वनाथ मंदिर और माँ अन्नपूर्णा मंदिर में इस दिन विशेष भव्यता और आस्था का वातावरण रहता है। सुबह से ही श्रद्धालुओं की लंबी कतारें लग जाती हैं, जहाँ भक्त भगवान विश्वनाथ के दर्शन और अभिषेक करने पहुँचते हैं। पूरे मंदिर परिसर को फूलों, दीयों और रंग-बिरंगी रोशनियों से सजाया गया है। धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि की जयंती भी होती है, इसलिए काशी विश्वनाथ धाम में विशेष धन्वंतरि पूजन, रुद्राभिषेक और आरती का आयोजन किया जाता है। संध्या के समय प्रदोष काल में, जब लक्ष्मी–कुबेर पूजन का शुभ मुहूर्त होता है, तब हजारों दीप जलाकर मंदिर परिसर को प्रकाशमय कर दिया जाता है।

धनतेरस पर माँ अन्नपूर्णा वाराणसी: भव्य दर्शन और अन्नसमृद्धि का पर्व

उधर, काशी विश्वनाथ मंदिर के समीप स्थित माँ अन्नपूर्णा मंदिर में भी धनतेरस से लेकर गोवर्धन पूजा तक पाँच दिनों तक उत्सव का माहौल रहता है। इस दिन माँ के सुवर्ण रूप के दर्शन के लिए भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ता है। भक्तों को अन्न का प्रतीक “लावा” या “खजाना” प्रदान किया जाता है, जिसे घर में समृद्धि और अन्न-वृद्धि का प्रतीक माना जाता है। शाम के समय माँ अन्नपूर्णा की महाआरती और दीपोत्सव के दृश्य अत्यंत मनमोहक होते हैं।

काशी के घाटों विशेषकर दशाश्वमेध और अस्सी घाट पर भी गंगा आरती के साथ दीपों की अनगिनत पंक्तियाँ जलाकर पूरे शहर को आलोकित किया जाता है। बाजारों में धनतेरस की खरीदारी, मंदिरों में भक्ति, और घाटों पर दीपों की रौनक, इन सबके संगम से काशी धनतेरस की रात स्वर्गीय प्रकाश में नहाई हुई प्रतीत होती है।

इस वर्ष धनतेरस से लेकर अगले लगभग पाँच दिनों (18 से 22 अक्टूबर) तक माँ अन्नपूर्णा मंदिर, वाराणसी में विशेष दर्शन और “खजाना/लावा” वितरण कार्यक्रम आयोजित किया गया है। मंदिर में दैनिक पूजा का आरंभ सुबह 3:00 बजे से 4:45 बजे तक होता है, जबकि श्रद्धालुओं के लिए मंदिर के द्वार लगभग सुबह 5:00 बजे खोल दिए जाते हैं। सार्वजनिक दर्शन का समय सुबह 4:00 बजे से रात 11:00 बजे तक रहता है, और वीआईपी दर्शन के लिए विशेष समय शाम 5:00 बजे से 7:00 बजे तक निर्धारित किया गया है। श्रद्धालुओं की सुविधा और भीड़ नियंत्रण के लिए प्रवेश मार्ग बंफाटक कोतवालपुरा गेट से धुंधिराज गणेश मार्ग के माध्यम से और निकास मार्ग राम मंदिर के पास से कालिका गली मार्ग के माध्यम से रखा गया है। सुरक्षा और सुविधाओं का विशेष ध्यान रखते हुए मंदिर परिसर में लगभग दो दर्जन सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं और ऑन-साइट मेडिकल टीम भी उपलब्ध रहेगी।

काशी विश्वनाथ धाम में दिव्यता और आस्था का अद्भुत संगम

धनतेरस के शुभ अवसर पर वाराणसी स्थित श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में भक्तिभाव और उत्सव का अद्भुत दृश्य देखने को मिलता है। प्रातः काल से ही श्रद्धालुओं की लंबी कतारें भगवान विश्वनाथ के दर्शन के लिए लग जाती हैं। इस पावन दिन को समृद्धि, स्वास्थ्य और आयु के देवता भगवान धन्वंतरि की जयंती के रूप में भी मनाया जाता है, इसलिए मंदिर में विशेष धन्वंतरि पूजन, रुद्राभिषेक और महा आरती का आयोजन किया जाता है। मंदिर परिसर को फूलों, बिजली की रोशनी और हजारों दीयों से सजाया जाता है, जिससे पूरा धाम दिव्य प्रकाश में नहाया हुआ दिखाई देता है।

संध्या के समय जब प्रदोष काल में लक्ष्मी–कुबेर पूजन का शुभ मुहूर्त होता है, तब भक्त विशेष रूप से भगवान शिव की आराधना करते हैं और धन-संपत्ति की वृद्धि की कामना करते हैं। इस अवसर पर काशी विश्वनाथ धाम में विशेष दीपोत्सव भी आयोजित किया जाता है, जिसमें भक्त गंगा जल से स्नान कर मंदिर में दीप अर्पित करते हैं। मंदिर प्रबंधन और प्रशासन की ओर से सुरक्षा, दर्शन व्यवस्था और भीड़ नियंत्रण के लिए विशेष इंतज़ाम किए जाते हैं। धनतेरस की रात काशी विश्वनाथ मंदिर का परिसर हजारों दीपों से आलोकित होकर एक अद्भुत और अलौकिक दृश्य प्रस्तुत करता है, जो भक्तों के हृदय में गहरी आस्था और आनंद का संचार करता है।

श्री काशी विश्वनाथ मंदिर वाराणसी: धनतेरस पर विशेष पूजा मुहूर्त और आरती समय-सारिणी

श्री काशी विश्वनाथ मंदिर वाराणसी में दर्शन और आरती का क्रम पूरे दिन विशेष अनुशासन के साथ चलता है। सामान्य दिनों में मंदिर प्रातः उदय से पूर्व लगभग 2:30 बजे सुबह खुल जाता है, जहाँ सबसे पहले मंगल आरती का आयोजन 3:00 बजे से 4:00 बजे तक किया जाता है। यह आरती अत्यंत पवित्र मानी जाती है और सीमित भक्तों को ही प्रवेश दिया जाता है। इसके बाद भक्तों के लिए नियमित दर्शन आरंभ होते हैं। मध्याह्न में भोग आरती का समय लगभग 11:15 बजे से 12:20 बजे तक रहता है, जिसमें भगवान शिव को भोग अर्पित किया जाता है। शाम के समय संध्या या सप्तर्षि आरती लगभग 7:00 बजे से 8:15 बजे तक संपन्न होती है, जिसमें सैकड़ों भक्त शामिल होकर “हर-हर महादेव” के जयघोष से मंदिर परिसर को गूँजा देते हैं। रात्रि में शयन आरती लगभग 10:30 बजे से 11:00 बजे तक होती है, जिसके बाद मंदिर के द्वार बंद कर दिए जाते हैं और मध्यरात्रि के बाद दर्शन सामान्यतः बाहरी परिक्रमा तक सीमित रहते हैं।

धनतेरस (18 अक्टूबर 2025) के विशेष अवसर पर श्री काशी विश्वनाथ धाम में पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 7:15 बजे से 8:19 बजे तक रहेगा, जो प्रदोषकाल के अंतर्गत आता है। प्रदोषकाल का समय लगभग 5:48 बजे शाम से 8:19 बजे रात तक रहेगा। इस समय भगवान शिव की आराधना और लक्ष्मी-कुबेर पूजन अत्यंत फलदायी माना जाता है। इस दिन मंदिर में भारी भीड़ की संभावना रहती है, इसलिए दर्शनार्थियों को सुबह या दोपहर के समय मंदिर पहुँचने की सलाह दी जाती है। शाम के समय आरती और विशेष पूजन देखने के इच्छुक श्रद्धालुओं के लिए 6 बजे से 8 बजे के बीच मंदिर पहुँचना सबसे उचित समय माना गया है।

घाट (Ghats)

1) दशाश्वमेध घाट (Dashashwamedh Ghat)

  • शाम की गंगा आरती: मौसम के अनुसार लगभग सूर्यास्त के बाद  सामान्यतः अक्टूबर-नवंबर में 6:00–7:15 PM के बीच आरती शुरू होकर ~45 मिनट चलती है; धनतेरस-रात्रि पर विशेष भीड़ रहेगी।

  • सुबह-सूर्योदय समय: 4:30–6:00 AM के बीच घाट पर सुबह के स्नान और उपासना का क्रम रहता है।

  • ट्रैवल टिप: आरती देखने के लिए 1–1.5 घंटे पहले पहुँचें या नाव बुक कर नाव से आरती देखें — आरती के पास नाव सेवाएँ उपलब्ध रहती हैं।

2) अस्सी घाट (Assi Ghat)

  • सुबह की आरती/सुबह का समर्पण: लगभग 5:00–5:45 AM।

  • शाम की आरती: मौसम अनुसार 6:00–7:00 PM के बीच (~45 मिनट)। अस्सी का वातावरण शांत-आध्यात्मिक होता है और सुबह-सुबह यहां सुबहे-बनारस का अनुभव उत्कृष्ट रहता है।

3) मणिकर्णिका घाट (Manikarnika Ghat)

  • यह प्रमुख अंत्यसंस्कार-घाट है — खुले रहते हैं (24 घंटे) पर दर्शनों/नज़दीक जाने के लिए समय और अनुमति पर संयम रखें; सुबह-दोपहर में ध्यान से जाएँ। सार्वजनिक गाइड/स्थानीय निर्देशों का पालन अनिवार्य है।

4) तुलसी घाट, अन्य घाट (Tulsi Ghat, Rajendra Prasad/Harishchandra आदि)

  • तुलसी और आसपास के घाटों पर सुबह-शाम की साधारण आरताएँ और भजन-समारोह होते हैं; समय प्रायः सुबह 4:30–6:00 AM और शाम 5:30–7:30 PM के बीच। बड़े त्योहारों पर (धनतेरस/दिवाली) घाटों पर विशेष कार्यक्रम और प्रकाश-व्यवस्था होती है।

दर्शन व्यवस्था, अतिरिक्त सीसीटीवी और मेडिकल टीम के साथ प्रवेश-निष्कासन के लिए अलग मार्ग बनाए गए हैं जिससे भीड़ नियंत्रित रहे। (स्थानीय पंडेंज/पंचांग द्वारा तिथियाँ व मुहूर्त घोषित हैं और कुछ जगहों पर तिथियों को लेकर भ्रम भी देखा गया, पर अधिकांश पंचांगों के अनुसार धनतेरस 18 अक्तूबर को ही है)। बनारस में बाजार, आभूषण-दुकानें और मंदिरों में सुरक्षा व भीड़ प्रबंधन के अतिरिक्त इंतज़ाम किए गए हैं; स्थानीय प्रशासन एवं मंदिर प्रबंधन ने भक्तों से अनुशासन व स्वास्थ्य-सुरक्षा का पालन कराने का अनुरोध किया है। यदि आप चाहें तो मैं आपको इस साल बनारस के प्रमुख मंदिरों (अन्नपूर्णा, काशी विश्वनाथ), घाटों और विशेष पूजा-समारोहों के समय-सारिणी का विस्तृत तालिका रूप में भी दे दूँ।

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